– खाद्य अधिकारियों के भरोसे ही चल रहा काम, सांठगांठ से बिक रहा सड़ा अनाज
– गेंहु मेंं हाथ डालने पर कचरे के साथ पाउडर भी निकल रहा
जावरा। प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले नागरिकों के साथ उससे ऊ पर जीवन यापन करने वालों को कम रेट पर अनाज मुहैया करवाने के लिए सरकारी उचित मूल्य की दुकानों का संचालन किया जाता हैं। जहां से पात्र हितग्राहियों को मासिक आधार पर गेंहु, चावल, शक्कर आदि जरुरत का राशन प्रदान किया जाता हैं, लेकिन जावरा में इन सरकारी उचित मूल्य की दुकानों से गरीबों को सड़ा हुआ अनाज वितरित किया जा रहा हैं। लेकिन इस और ना तो खाद्य अधिकारी ध्यान दे रहे हैं और ही जवाबदार। ऐसे में जनता को सड़ा हुआ राशन भी उपयोग करना पड़ रहा हैं। उल्लेखनीय है कि इन सरकारी उचित मूल्य की दुकानों के संचालकों द्वारा गरीबो के हक के अनाज पर डाका डाला जाता हैं, कई बार हेराफेरी, काला बाजारी किए जाने की बाते तो आम हैं, कई बार इन दुकानों को संचालित करने वाले सेल्समेन व कर्मचारियों पर कार्रवाई भी हुई हैं, कई बार इन दुकानों का सरकारी अनाज मंडी में तो बाजार के व्यापारियों के यहां बड़ी संख्या में भी देखा गया हैं, वहीं सरकारी अनाज की तस्करी भी कई बार प्रशासन ने करते हुए पकड़ा हैं, लेकिन इसके बाद भी जावरा शहर में दुकान संचालित करने वाले संचालक बेखौफ होकर कई बार अच्छे अनाज को भी बदल देते हैं। ऐसा ही मामला जावरा शहर के वार्ड क्रमांक 10 की दुकान पर इन दिनों सड़ा हुआ गेहुं गरीबो को दिया जा रहा हैं। गेंहु की क्वालिटी ऐसी हैं कि इसमें हाथ डालने पर बुरादा निकल रहा हैं, जैसे गेंहु में जानवर लगने के बाद निकलता हैं। इसकी सूचना जब खाद्य अधिकारी को दी गई तो उन्होने गेंहु को बदलने की बात कही, लेकिन सवाल यह उठता हैं कि क्या कभी ये अधिकारी दुकानों पर पहुंचकर अनाज की क्वांटिंटी और क्वालिटी की जांच भी करते हैं या नहीं ? यह बात महज एक दुकान की नहीं हैं, जावरा शहर में संचालित कई दुकानों पर यह आलम देखने को मिल सकता हैं, लेकिन आम आदमी जो इन दुकानों से अनाज लेते हैं, वे डर के चलते अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाते हैं, ऐसे में इन संचालकों की मनमानी जारी रहती हैं।
खाद्य अधिकारी के भरोसे चल रहा काम, एसडीएम, तहसीलदार क्या करते हैं अनाज की जांच –
आम तौर पर देखा गया है कि शहर में संचालित होने वाली इन उचित मूल्य की दुकानों पर खाद्य अधिकारी को जांच के लिए भेजा जाता हैं, लेकिन खाद्य अधिकारियों और दुकान संचालकों की तो पहले ही आपस में अच्छी ट्यूनिंग रहती हैं, ऐसे में खाद्य अधिकारी किस तरह से जांच करते होंगें ? यह तो जग जाहिर हैं, लेकिन इन दुकानों पर मिलने वाले अनाज की क्वाटिंटी के साथ क्वालिटी जांचने क्या कभी एसडीएम या तहसीलदार गए हैं ? यह सवाल भी उठता हैं, या ये जवाबदार केवल खाद्य अधिकारियों की रिपोर्ट से ही संतुष्ट हो जाते हैं। उचित मूल्य की दुकान संचालकों के है बड़े बड़े बंगले –
शहर में संचालित होने वाली इन सरकारी उचित मूल्य की दुकानों को संचालित करने वाले संचालकों की आय इन दुकानों से महज कमिशन के रुप में होती हैं, लेकिन असली कमाई तो अन्य तरीकों से होती हैं, जो कि सर्व विदित हैं, जावरा में शहर में संचालित इन दुकानों के संचालकों मे से अधिकांश के बड़े बड़े बंगले बने हुए हैं। लेकिन सिर्फ दुकान संचालित करने से होने वाली कमाई से तो बंगले बनना संभव नहीं हैं। ऐसे में आम जनता के मन में कई सवाल खड़े होना लाजमी हैं।
आपसे मिली खराब अनाज दिए जाने की सूचना –
खराब गेंहु की मिलने की सूचना आपसे मिली हैं, ऐसा हैं तो दिखवाते हैं, वहीं उचित मूल्य की दुकानों पर आकस्मिक निरीक्षण कर अनाज की क्वाटिंटी व क्वालिटी की जांच भी की जाएगी। – राधा महंत, एसडीएम, जावरा
Subscribe to Updates
Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.