– श्वेतांबर जैन वरिष्ठ संघ ने मोतियों की माला, श्रीफल व मोमेंटों से किया बहुमान
जावरा। तप तो तप होता हें, तप की कोई होड़ नहीं और जप तो जप होता है जप की कोई जोड़ नहीं, दया करूणा त्याग तपस्या साधना आराधना सरलता सौम्यता माधुर्यता की साक्षात प्रतिमूर्ति तपस्वी रत्न प्रकाशचन्द्र पितलिया ने अपनी उम्र के 65 वे वर्ष में भी लगातार सिर्फ गर्म जल पर आधारित 101 उपवास की कठौर तपस्या कर समाज को युवा पीढ़ी को धर्म जागरण का नया संदेश दिया। गत वर्ष भी अपने 81 उपवास की कठौर तपस्या की थी। श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रीसंध में चातुर्मास है हैतू विराजीत ध्यान योगी आगम ज्ञाता श्री विकसित मुनि व नवकार महामंत्र आराधक श्री वितराग मुनि जी की पावन निश्रा में तपस्वी श्री पीतलिया की 101उपवास की कठौर तपस्या अनावृत जारी है तथा अनुकुलता रही तो तपस्वी राज के 104 उपवास करने की प्रबल भावना है जिन शासन उन्हें शक्ति प्रदान करें। तपस्वी पीतलिया युवा अवस्था से ही बहुत दयालु एवं धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत रहे आप हर चार्तुमास में यथा शक्ति अनुसार छोटी बड़ी तप साधना करते ही रहते हैं।
माला पहनाकर किया बहुमान –
प्रारंभ में सभी सदस्यों ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया। आनंदीलाल संघवी, अभय सुराणा, सुजानमल कोचट्टा, शेतानमल दुग्गड, अभय श्रीमाल ने तप अनुमोदना करते हुए अपने-अपने विचार व्यक्त किए तथा तपस्वी के आत्म मनोबल तप को नमन किया। इस दौरान सरदारमल चोरडय़िा, नेमीचंद जैन, वीरेंद्र रांका, दिलीप पारीख, ऋषभ छाजेड़ सभी ने उनके पूत्र तपन नाहटा के निवास पर पहुंच कर बहुत बहुत अनुमोदना व नवकार महामंत्र के जाप के साथ तपस्वी प्रकाश पितलिया का बहुमान कर उनका आर्शीवाद लिया व इस तपस्या के लिए उन्हें साधुवाद देते हुए उनके यशस्वी दिर्धायुष्य सुखमय जीवन की मंगलमयी शुभकामनाएं दी।
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