– सरकारी वेयरहाऊस से मेघनगर के लिए निकला था, लेकिन मेघनगर के बजाय रतलाम मे ही एक निजी गौदाम में जाकर हो गया खाली
– जावरा से भी राजस्थान की और जाता हैं युरिया
रतलाम। किसानों के हीत की बात करने वाली भाजपा सरकार में जरुरुतमंद किसानों को समय पर युरिया नहीं पा रही थी, मिल भी रही थी तो तय दाम से अधिक में किसानों को युरिया खरीदना पड़ रहा था। अधिक दाम पर युरिया खरीदने तक तो मामला चल ही रहा था, लेकिन गुरुवार को रतलाम में ही एक निजी गौदाम में अवैध रुप से रखा करीब 1700 बोरी युरिया प्रशासन ने रेड मारकर पकड़ा हैं। यह युरिया सरकारी गोदाम से झाबुआ के लिए निकला था, लेकिन झाबुआ के बजाय रतलाम के एक निजी गौदाम में कैसे खाली हुआ, इसको लेकर प्रशानिक अधिकारी जांच में जुटे हैं।
मिली जानकारी अनुसार रतलाम के धौंसवास स्थित श्री राम वेयर हाउस से तीन ट्रक में 1790 बैग युरिया (कुल 80 मैट्रिक टन यूरिया) बुधवार शाम को लोड किया था। यूरिया से लोड तीनों ट्रक मेघनगर ना जाते हुए रतलाम के दिलीप नगर में एक प्राइवेट गोडाउन में खाली कर दिए है। एक ट्रक बुधवार शाम को खाली किया। दो ट्रक गुरुवार सुबह खाली किए गए। दोपहर में जब इस बात की जानकारी कलेक्टर राजेश बाथम को मिली तो अपर कलेक्टर डॉ. शालीनी श्रीवास्तव, एसडीएम अनिल भाना, सीएसपी सत्येंद्र घनघोरिया ने आकस्मिक रेड डाली। गोडाउन में यूरिया पाया गया। इसके अलावा अन्य फर्टिलाइजर भी मिला।
ट्रकों में खराबी होने का बनाया बहाना, प्रशासन के नहीं उतरा –
प्रशासन ने जब गोडाउन संचालक से इस बारे में जानकारी ली तो उन्होंने तर्क दिया कि ट्रकों में खराबी होने के कारण ट्रांसपोर्टर ने यहां उतारे है। लेकिन यह बात अधिकारियों को गले नहीं उतरी। अधिकारियों को कहना था कि एक साथ तीन ट्रक कैसे खराब हो सकते है। अधिकारियों ने यूरिया बैग की गिनती की। पंचनामा बनाया। कार्रवाई जारी थी। मामले में सरकारी वेयर हाउस से लेकर ट्रांसपोर्टर व प्राइवेट गोडाउन संचालक से पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों को भी शंका कि कालाबाजारी के खेल में सरकारी वेयर हाउस वाले भी मिले हो सकते है। मेघनगर सोसायटी में खाली होना था युरिया –
रतलाम के अरिहंत ट्रांसपोर्ट के तीन ट्रकों में यह युरिया लोड हुआ था, जो कि मेघनगर की सोसायटी में खाली होना था। युरिया लोड होने के बाद जो बिलटी बनी थी, वह भी मेघ नगर की थी, लेकिन युरिया मेघनगर तक पहुंचा ही नहीं और रतलाम में ही खाली हो गया।
ट्रांसपोर्टर और गौदाम संचालक बना रहे बहाने –
गोडाउन संचालक पवन जैन का कहना था कि ट्रांसपोर्टर का फोन आया कि ट्रकों में खराबी है। गोडाउन में जगह हो तो रखवा देते है। हम सुबह उठा लेंगे। रात में एक ट्रक खाली हुआ। दो ट्रक गुरुवार सुबह खाली हुए है। हमारा यूरिया से कोई लेना देना नहीं है। जावरा से भी राजस्थान की और जाता हैं युरिया –
सूत्रों की माने तो जावरा से भी युरिया समीपवर्ती राजस्थान पहुंचता हैं, यहां के कुछ निजी युरिया व्यापारियों द्वारा पिपलौदा और सुखेड़ा से होकर राजस्थान की और युरिया भेजा जाता हैं। सूत्रों ने तो यहां तक बताया कि इस बात की खबर विभाग के अधिकारियों को भी हैं, लेकिन वे इस और कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं, यह तो कहा नहीं जा सकता हैं।
क्या कृषि विभाग नहीं कर सकता स्टिंग ऑपरेशन –
गत माह एसडीएम त्रिलोचन गौड़ ने युरिया की कालाबाजारी पर अंकुश लगाने स्टिंग ऑपरेशन किया था, लेकिन क्या कृषि विभाग के अधिकारी इस तरह के स्टिंग ऑपरेशन नहीं कर सकते हैं, ताकि किसानों को समय पर और तय दाम में युरिया उपलब्ध हो सके। लेकिन अधिक दाम पर युरिया बेचे जाने की शिकायत पर कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को फ्रंट पर आने की बात कहते हैं, जो किसान वास्तव में शिकायत करते हैं उन तक ये अधिकारी कभी नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में कृषि विभाग के अधिकारियों और युरिया संचालकों के बीच नुरा कुश्ती जारी रहती हैं।
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