जावरा। मानव सेवा के क्षेत्र में यूं तो अनेक सामाजिक,धार्मिक संस्थाओं का योगदान देखने को मिलता है। लेकिन जावरा में एक ऐसी संस्था है,जिसके मानवीय प्रयासों की हर कोई सराहना करता नहीं थकता। उस संस्था का नाम है, संजीवनी..! एक संजीवनी वह थी, जिसे हनुमानजी पर्वत समेत ही उठा लाये थे। पीडि़त मानवता की मदद के लिए सदैव तत्पर इस संस्था संजीवनी के इरादे भी पहाड़ से कमतर नहीं लगते। संजीवनी फाउंडेशन के कार्य व कर्तव्य भी पर्वत जैसे ही अटल और ऊंचे नजर आते है। अपने नाम को सार्थकता प्रदान करती संस्था संजीवनी द्वारा की गई कोशिश के परिणाम स्वरूप एक साथ तेरह लोगों ने मरणोपरांत देहदान की घोषणा कर दी। दधीचियों ने भी अन्य लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनते हुए जीते जी तुम्हारे याने समाजसेवा में योगदान..और मर के भी तुम्हारे..के वचन पर कायम रहते हुए अपनी-अपनी काया मृत्यु उपरांत मेडिकल कॉलेज में दान देने की शपथ ली। सेवा का संकल्प लिए संजीवनी फॉउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष एडवोकेट यश जैन अपनी टीम के साथ मानवता के क्षेत्र में नि:सन्देह बहुत ही सराहनीय कार्य करने में जुटे हुए है।
साधारण लोगों के असाधारण निर्णय –
यह संस्था की पहल का ही असर है कि साधारण जीवन जीने वाले करीबन 13 दधीचियों ने असाधारण निर्णय लेते हुए देहदान की प्रतिज्ञा ली। मनुष्य जीवन में कुछ लोग ऐसे परोपकारी कर्म कर जाते हैं, जिन्हें मरने के बाद भी दुनिया आदर-सम्मान के साथ याद करती है। सामाजिक क्षेत्र में अपने कार्य-व्यवहार से पुण्याई अर्जित कर नेकी की राह पर चलने वाले लोग समयचक्र में भले ही सशरीर हमारे बीच नहीं रहे, पर उनकी स्मृतियां सदा मानस पटल पर अमर हो जाती हैं। साधारण इंसान होने के बावजूद उनके असाधारण कर्म उन्हें पूजनीय बनाते हैं। उनका ख्याल मन में आते ही स्वत: उनके प्रति मान-सम्मान का भाव उत्पन्न हो जाता है। बता दें कि मेडिकल कॉलेज में छात्रों के प्रेक्टिकल हेतु डेथ बॉडी की जरूरत पड़ती है। मृत व्यक्ति की बॉडी चिकित्सा शिक्षा व अनुसंधान में बहुत काम आती है। कॉलेज के विद्यार्थियों को इंसानी शरीर की जटिल रचना को नजदीक से देखने-समझने का मौका मिलता है।
इन दधिचियों ने लिया देह दान का प्रण –
संजीवनी फाउंडेशन के बैनर तले पिछले साल यहां आयोजित एक कार्यक्रम में नगर के एक दर्जन से अधिक लोगों ने मृत्यु पश्चात अपना शरीर मेडिकल कॉलेज को दान देने का संकल्प लिया। मृत्यु के बाद भी यह तन किसी ना किसी रूप में किसी के काम आ जाए, इसी भावना को ध्यान में रख लोग देहदान के लिए प्रेरित हो रहे हैं। अभी तक सुशीला पटवा, उनके बेटे मार्बल व्यापारी कुशल पटवा, सुभाष धारीवाल, सुमन धारीवाल, सौरभ मेहता, केवलराम सांखला, धर्मेंद्र सोनी, ललिता सोनी, विमला व्यास, शंकरलाल चावला, विजय ओरा, मलय नाहर, प्रियंका नाहर आदि ने मरणोपरांत अपनी देह को मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दान करने का संकल्प लिया हैं।

संस्थापक यश जैन की सक्रियता से हुआ संभव –
किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए जोश, जज्बा ओर जुनून होना चाहिए। आपकी मेहनत व लगन के बूते ही कोई भी योजना बेहतर ढंग से मूर्त रूप ले पाती है। हम बात करेंगे नगर के एडवोकेट और संजीवनी फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष यश जैन की। छात्र जीवन से ही जैन सेवा कार्यों में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करते आ रहे हैं। वे अपनी सक्रियता के चलते वर्ष 2002 में विद्यार्थी परिषद से भगत सिंह महाविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष बने। इसके बाद युवा मोर्चा,भाजपा में विभिन्न पदों का दायित्व निभाया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में जिला पदाधिकारी पद की जिम्मेदारी सम्भालते हुए समाजसेवा के क्षेत्र में अग्रणी हुए। उन्होंने नेत्रदान, रक्तदान, देहदान के पुनीत कार्यों के साथ ही गरीबों के लिए सेवा कार्य करते हुए कोरोना काल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जैन भारत विकास परिषद के अध्यक्ष, लायंस क्लब में सचिव, ओलंपिक संघ में उपाध्यक्ष, नाकोड़ा भैरव भक्त मंडल संस्थापक अध्यक्ष व रेडक्रॉस में सदस्य तथा कर सलाहकार परिषद के पूर्व अध्यक्ष रहते हुए कई सामाजिक गतिविधियों व सेवा कार्य को कर रहे है।