-30 गाँवो को सीधा जावरा शहर से जोड़ता एक रोड स्वयं ही अपनी बदहाली पर बहा रहा आंसू
जावरा। आलोट विधानसभा के 30 गांवों को जावरा विधानसभा से जोडऩे वाली सड़क लम्बे समय से अपनी बदहाली पर आसूं बहा रहा हैं। इस रोड़ को लेकर सांसद, विधायक, केन्द्रीय मंत्री से लेकर राज्यपाल स्तर के जनप्रतिनिधियों ने हस्तक्षेप किया, जिस रोड की चर्चा विभाग से लेकर विधानसभा तक हो चुकी, जिसकी बदहाली की कहानी कई बार समाचार पत्रों में छप चुकी, उसके बाद भी यह सड़क आज तक नहीं बन सकी और आज भी बड़े बड़े गढ्ढों से बीच से वाहनों को गुजरना पड़ रहा हैं। लेकिन इन सभी बातों से लोक निर्माण विभाग को कोई सरोकार नहीं हैं। यहां हम बात कर रहे है सेजावता से भूतेड़ा (जावरा उज्जैन रोड़) बायपास तक 3 किलोमीटर की सड़क की। जिसको पहले जावरा खाचरौद रोड भी कहा जाता था। ये रोड़ लगभग 30 गांवों की जीवन रेखा है, सुबह से रात तक इसी रोड पर इन गावो के विद्यार्थी, किसान, सब्जी विक्रेता, दुग्ध विक्रेता एवं अपने दैनिक कार्य के लिए जावरा आने वाले आमजन आवागमन करते है, स्कूल से लेकर महाविद्यालय के छात्र छात्राओं लिए यह रोड बहुत ही शार्ट कट हैं। गर्भवती महिलाओं को लेकर जब जननी इस रोड से गुजरती है तो उन महिलाओं पर क्या गुजरती है सोच कर रूह कांप जाती हैं। यही रोड उज्जैन से सीधा जावरा का प्रवेश मार्ग हैं। यही रोड़ दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से सीधा जुड़ा हंंै। ऐसे अनगिनत लाभ इस रोड से है परन्तु लोक निर्माण विभाग को इसकी परवाह कहा हैं और ना ही विभाग इसकी पहल बीते 10 सालों मे कर पाया है और ना ही बारिश के पहले इसकी कोई सुध विभाग द्वारा ली जाती हैं।
कुंभकर्णी नींद से कब जागेंगे अधिकारी –
इस सड़क को कई बार फोरलेन में परिवर्तित करने की मांग की गई। लेकिन फोरलेन तो दूर की बात हैं, जो रोड़ बना हैं उसे डामरीकरण भी नसीब नहीं हैं। जावरा विधानसभा ओर आलोट विधानसभा दोनों को जोडऩे वाले इस रोड की सूरत कब बदलेगी, कब जनप्रतिनिधि इसकी सुध लेंगे, कब विभाग कुम्भकर्ण की नींद से जागेगा। इसका तो पता नही लेकिन आज बारिश के मौसम में आमजन इसको लेकर बहुत तकलीफ और रोष में है ओर खुद को असहाय महसूस कर कर रहा है कि आखिर अपनी परेशानी किसको बताए। ऐसे में मजबुर होकर लोगों को गढ्ढों भरी इस सड़क से गुजरना पड़ता हैं।
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