– लम्बे समय से अलग रह रहे दम्पत्तियों को साथ रहने किया राजी, पौधा भेंट कर साथ में किया रवाना
जावरा। न्यायालय में वर्षो से लंबित प्रकरणों को आपसी समझोते के आधार पर निराकृत करने मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के आदेशानुसार तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार शनिवार को जावरा के न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें करीब 6 खण्डपीठों में रखे गए लंबित प्रकरणों मे से 294 प्रकरणों को निराकृत करते हुए 1 करोड़ 43 लाख रुपए से अधिक के अवार्ड पारित करते हुए 530 लोगों को लाभान्वित किया गया। वहीं लम्बे समय से अलग रह रहे पति पत्नी को साथ रहने के लिए राजी करते हुए लोक अदालत को सफल बनाया।
शनिवार को न्यायालय परिसर में सुबह न्यायालय स्थित प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर लोक अदालत का शुभारंभ समस्त न्यायाधीशों, अभिभाषकों व न्यायालय कर्मचारियों द्वारा किया गया। लोक अदालत में बनाई गई 06 खण्डपीठों में न्यायालयों में लंबित क्लेम प्रकरण 24 एस.सी.एन.आई.ए चैक संबंधी 50 प्रकरण, एम.पी.ई.बी के 21 प्रकरण, महिला संबंधी विवाद 02 प्रकरण, सिविल प्रकरण तथा राजीनामा योग्य अपराधिक प्रकरणों के साथ विभिन्न बैंकों के प्री-लिटिगेशन प्रकरण 07 प्रकरण, बीएसएनएल के 21 प्रकरण नगर पालिका जल कर संबंधी 58, सपत्ति कर के 6 प्रकरण का निराकरण हुआ। इस प्रकार लंबित कुल 202 प्रकरणों में 1,26,95,850 रूपये की राशि का अवार्ड पारित सहित 429 को लाभांवित किया गया। वहीं प्रीलिटिगेशन के 92 प्रकरण निराकृत किये गये जिसमें 16,65,871 रूपये राशि के अवार्ड पारित करते हुए 101 को लाभांवित किया गया। इस प्रकार लोक अदालत में कुल 294 प्रकरणों का निराकरण कर 1 करोड़ 43 लाख 61 हजार 721 रुपए की राशि के अवार्ड पारित करते हुए कुल 530 लोंगो को लाभान्वित किया गया।
समझाईश के बाद साथ रहने को राजी हुए दम्पत्ति –
शनिवार को आयोजित नेशनल लोक अदालत में न्यायाधीश उषा तिवारी ने लम्बे समय से अलग रह रहे दम्पत्ति को समझाईश देकर साथ रहने के लिए राजी कर लोक अदालत को सफल बनाया। जानकारी अनुसार दशरथ पिता रामचन्द बारोड निवासी ग्राम कालुखेड़ा तहसील पिपलौदा जिला रतलाम का विवाह निर्मला पति दशरथ बारोड निवासी ग्राम करिया तहसील सैलाना जिला रतलाम का विवाह (07 वर्ष) पूर्व में हिन्दू रीति-रिवाज के साथ हुआ था। विवाह के बाद दम्पति को 03 पुत्रियों का जन्म हुआ। विवाह के पश्वात निर्मला पति दशरथ अपने घर आती-जाती रही और पत्नी को पति दशस्थ द्वारा समस्त प्रकार की सुख-सुविधा प्रदान कर अपने पति कर्तव्यों का पालन करता रहा और पूरा परिवार प्रेमपूर्वक साथ रह रहा था। कुछ समय पूर्व दशरथ की पत्नी निर्मला अपने माता पिता के घर चली गयी थी और कई बार पत्नी के माता-पिता के घर पत्नी को लेने गया, लेकिन पत्नी द्वारा यह कहकर मना कर दिया जाता था जब मेरी मर्जी होगी तब उसके साथ में जाउगी जिससे पति दशरथ को पत्नी के इस व्यवहार के कारण मानसिक रूप से प्रताडित हो रहा है। उक्त स्थिति के बाद पति दशरथ द्वारा न्यायालय में धारा 09 हिन्दू विवाह अधिनियम दाम्पत्य जीवन की पुर्नस्थापना हेतु प्रकरण पेश किया था। न्यायालय के माध्यम से दाम्पत्य जीवन की पुर्नस्थापना की मांग की थी। पति-पत्नी पृथक-पृथक निवास कर रहे थे। न्यायालय द्वारा बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पति-पत्नि को विवाद के समझौते के लिए बार-बार समझाइश दी जिसके बाद दिनांक 09 मार्च 2024 को आयोजित नेशनल लोक अदालत में अपने बच्यों के साथ नये जीवन पति-पत्नि ने साथ रहने का समझौता कर एवं आपसी विवाद को खत्म कर अपने बच्चों प्रारंभ कर रहे है। जिला न्यायाधीश उषा तिवारी द्वारा पति-पत्नी को पौधा प्रदान किया गया। पति-पत्नि एक साथ होकर अपनी के साथ घर गये। इस दौरान न्यायालय स्टॉफ रीडर धर्मेन्द्र यादव, प्रवर्तन लिपिक रोहित गुप्ता, स्टेनोग्राफर मनोज ओहरी, त्रिलोक बैरागी, निलेश गेहलोत आदि उपस्थित रहे।