– लापरवाही का अडडा बना उज्जैन का क्षैत्रीय संचालक कार्यालय
जावरा। मध्यप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग में लंबे समय तक सेवा देने वाले सेवानिवृत प्राध्यापक को अपनी स्वयं की बिमारी पर खर्च हुए रुपए का भुगतान नहीं हो पा रहा हैं, पीडि़त प्राध्यापक द्वारा उपचार के चिकित्सा देयक करीब वर्ष भर पहले उज्जैन के क्षैत्रीय संचालक स्वास्थ सेवाएं के कार्यालय में जमा करवा दिए थे, लेकिन उसके बाद भी साल भर में कार्यालय के सुस्त अधिकारी व कर्मचारी अपनी लापरवाही का परिचय देते हुए अब तक कार्योत्तर स्वीकृति भी प्रदान नहीं कर पाए हैं, ऐसे में प्राध्यापक अपने चिकित्सा देयक के भुगतान के लिए उज्जैन, भोपाल के चक्कर काट रहे हैं, सीएम हेल्प लाईन पर भी शिकायत कर रहे हैं, लेकिन नतिजा अब भी शून्य ही नजर आ रहा हैं। प्राध्यापक द्वारा जब फोन पर अपने बिल के भुगतान को लेकर स्थिति का पता लगाया जाता हैं, उज्जैन क्षैत्रीय संचालक कार्यालय में मौजुद कर्मचारी उन्है झुठे आश्वासन देकर प्रकरण को टालने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि प्राध्यापक द्वारा अपने ओरिजनल बिल जमा करवाने के साथ ही सभी दस्तावेज सौंप दिए थे, कोई भी कागज लंबित नहीं था। लेकिन उसके बाद भी अब तक कार्योत्तर स्वीकृति नहीं मिली हैं, जिसके चलते उच्च शिक्षा विभाग से बजट नहीं मिल पाया और भुगतान में विलंब हो रहा हैं। करीब एक वर्ष बीतने के बाद भी अब तक सेवानिवृत प्राध्यापक डॉ मदनलाल गांगले के 23090/- रुपए के बिल की कार्योत्तर स्वीकृति को अटका कर रखा गया हैं। सीएम हेल्प लाईन के साथ उच्च शिक्षा मंत्री, स्वास्थ मंत्री को भेजी गई शिकायत के बाद संचालनालय लोक स्वास्थ एवं चिकित्सा शिक्षा द्वारा पत्र द्वारा क्षैत्रीय संचालक चिकित्सा सेवा उज्जैन को प्राध्यापक डॉ गांगले के उक्त चिकित्सा देयक की कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान करने के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन इसके बाद भी अब तक मामला लटका हुआ हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ गांगले की फरवरी 2020 में इंदौर के मेदांता हास्पीटल में एंज्योप्लास्टी हो चुकी हैं, तब से हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ शैलेन्द्र त्रिवेदी प्रति छ: माह के अंतराल से इनका पुरा चेकअप कर उपचार कर रहे हैं।
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