– एसडीएम को कई किसानों के आवेदनों का सौंपा पुलिंदा
जावरा। म.प्र. में जंगली जानवरो की वजह से खड़ी फसलें बर्बाद हो रही है। कई किसानों ने फसलें बदली है, एवं कई किसानों ने अपनी बागवानी की खेती करना बंद कर दी है। पुरे प्रदेश के किसान आंदोलनरत है, परन्तु इसका निदान नहीं कर पा रहे है। वन्य प्राणी अधिनियम 2000 के मुताबिक घोड़ारोज (नीलगाय) को मारने की अनुमति अनुविभागीय अधिकारी को देना प्रस्तावित है। परन्तु आज दिन तक ऐसा मारने का आदेश नहीं दिया गया है, जिससे किसान आंदोलनरत् है। शनिवार को जिला पंचायत सदस्य डीपी धाकड़ के नेतृत्व में सैंकड़ों किसानों ने एसडीएम कार्यालय के बाहर धरना दिया और सैंकड़ों के किसानों के आवेदनों का पुलिंदा एसडीएम को सौंपा।
किसान नेता डीपी धाकड़ ने एसडीएम को बताया कि अगर इन जंगली जानवरों से हमारी खेती नहीं बच रही है, और सरकार इसके समाधान कि ओर नहीं बढ़ती है, तो किसानों को खेती छोडऩे पर मजबूर होना पड़ेगा। इसलिए हमारी मांग है, कि शासन स्तर पर इनके निदान की व्यवस्था की जाए। जिस तरीके से किसानों को घोड़ारोज मारने की अनुमति का नियम बनाया गया वह भी दोषपूर्ण है। क्योंकि किसान के पास हथियार नहीं है, और जिसके पास है, वह किसान मारने में सक्षम दक्षता प्राप्त नहीं है। जिससे कोई दुर्घटना भी घट सकती है। वर्तमान समय में रोड़ पर वाहन चलाते वक्त भी घोड़ाराज से दुर्घटना घट रही है, जिससे कई लोगो के अंग भंग हो गए है, और कई लोगो की जान चली गई है। किसानों ने खेती किसानी बचाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार जंगली सुअर व घोड़ारोज से किसानों को मुक्ति दिलाने की मांग की है। इस दौरान जिला पंचायत सदस्य राजेश भरावा के साथ सैंकड़ों की संख्या में किसान मौजुद रहे।