– गीता भवन पर जारी सात दिवसीय श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव
जावरा। मनुष्य शरीर मिलना ही दुलर्भ हैं, आत्मा और परमात्मा को जानने के लिए ही मनुष्य शरीर मिला हैं, इंसार की मृत्यु के समय जेसे उसके विचार होंगे, जेसा उसका संग होगा वेसा ही उसे अगला जन्म मिलता हैं, इसलिए मानव शरीर मिला हैं, तो इसे ईश्वर की भक्ति में लगाओं। यदि श्रृष्टी में विलय करना चाहते हो तो तप करों, आराधना करों ।
यह बात श्री गीता भवन ट्रस्ट जावरा द्वारा श्री गीता जयंती महामहोत्सव के उपलक्ष्य में सात दिवसीय श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा कथा का रसपान करवाते हुए कथा के तीसरे दिन बुधवार को जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानन्दजी तीर्थ ने कहीं। शंकराचार्य जी ने कहा कि संध्या के समय जो मनुष्य सोता हैं, उसके घर में दरिद्रता आती हैं। जड़ता, मुड़ता और उसकी बुद्धि खण्डित होती हैं। संध्या के समय गर्भाधान करने से दूष्ट संतान पैदा होती हैं। इन्होने लिया पौथी पूजन व आरती का लाभ –
सात दिवसीय कथा के तीसरे दिन पौथी पूजन का लाभ सेवानिवृत एसआई रामसेवक शर्मा, कृष्णकांतजी, बाबूलाल निम्बे तथा गोपाल सेठिया ने लिया। शाम को आरती का लाभ ट्रस्ट अध्यक्ष व विधायक डॉ राजेन्द्र पाण्डेय के साथ नपा उपाध्यक्ष सुशील कोचट्टा, कालूराम हरा, भाजपा मंडल अध्यक्ष मांगीलाल पांचाल, आनंद गर्ग, अभय सुराणा, देवेन्द्र चौहान ने लिया। आरती के बाद भक्तों को प्रसादी वितरित की गई। प्रसादी का लाभ बहादुरसिंह पंवार, बालाराम सेजावता, दिलीप त्रिवेदी, रमेश व्यास तथा किशन महाराज ने लिया। इस दौरान समिति के अध्यक्ष डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय, सचिव अशोक सेठिया, गीता सह-संयोजक कैलाश नारायण विजयवर्गीय, आयोजन समिति सदस्य हरिनारायण अरोड़ा, डॉ. शैलेन्द्र पाण्डेय, मोहन पटेल, राजेन्द्र श्रोत्रिय, गायत्रीप्रसाद मंडलोई, प्रकाशचन्द्र खण्डेलवाल, तेजराम मांगरोदा के साथ संत सेवा समिति के दशरथ कसानिया, मनोहर पांचाल, जगदीश कुमावत, दिलीप हेमावत, विनोद अग्रवाल, मनोहरसिंह चौहान आदि उपस्थित रहे। संचालन गीता जयंति महोत्सव संयोजक अभिभाषक आई पी त्रिवेदी ने किया।
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