– नगर पालिका द्वारा कचरा उठाने के लिए जो वाहन दिए थे, उन्है भी कर दिए खराब
– ट्रेचिंग ग्राउण्ड पर ना तो कचरे से खाद बनाई और ना ही किया रखरखाव
जावरा। मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी तहसील के रुप में पहचाना जाने वाला जावरा करीब एक लाख की आबादी वाला शहर हैं, जहां पुरे नगर में करीब 30 वार्ड हैं, इन वार्डो में कई वैध, तो कई अवैध और अविकसित कॉलोनियां हैं, जिनमें हजारों घरों से निकलने वाले कचरे को डोर टू डोर संग्रहण करने तथा उसका निष्पादन करने के लिए नगर पालिका जावरा ने क्लिन इंडिया एनजीओ को करीब 1 करोड़ 47 लाख रुपए में ठेका दिया था, लेकिन क्लिन इंडिया नाम के इस एनजीओ ने ना तो जावरा को क्लिन किया और ना ही कचरे से खाद ही बनाई, और तो और गाड़ी चलाने वाले कर्मचारियों को भी वेतन नहीं दिया। जिसके चलते अब करीब 30 कर्मचारियों ने एनजीओ संचालक के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाना शुरु कर दी हैं।
क्लिन इंडिया एनजीओ के अंडर में काम करने वाले अलंकित पिता तेजाशंकर मेहना सहीत करीब 30 कर्मचारियों ने शहर थाना जावरा पर क्लिन इंडिया एनजीओ के संचालक रवि अग्रवाल निवासी अहमदाबाद (गुजरात) के खिलाफ आवेदन दिया हैं। आवेदन में बताया कि वह एनजीओ के अंडर कचरा गाड़ी चलाने का काम करता था, जिसके एवज में उसे 7 हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाते थे। लेकिन अक्टुबर माह में एनजीओ को ठेका समाप्त हो गया, पुरे माह काम करने के बाद भी ठेकेदार द्वारा उसके सहित सभी 30 कर्मचारियों को आधा वेतन ही दिया गया हैं, शेष आधा वेतन नहीं दिया गया हैं। कर्मचारियों ने बताया कि उन्होने कई बार संचालक रवि को फोन लगाया लेकिन उसने फोन रिसीव नहीं किया। ऐसे में अब परेशान होकर कर्मचारियों ने अक्टुबर माह के आधे वेतन के लिए पुलिस से गुहार लगाई हैं। खराब कर दिए कचरा वाहन –
नगर पालिका परिषद जावरा ने उक्त क्लिन इंडिया एनजीओ को डोर टू डोर कचरा उठाने तथा उसे ट्रेचिंग ग्राउण्ड तक पहुंचाने के लिए कचरा वाहन भी प्रदान किए थे, लेकिन एनजीओ के संचालकों ने इन कचरा गाडिय़ों का रखरखाव भी सही ढंग से नहीं किया। ऐसे में अक्टुबर माह में जब ठेका समाप्त हुआ तो कई कचरा वाहन खराब हो गए। ऐसे में अब नगर पालिका को इन खराब कचरा वाहनों से परेशान होना पड़ा रहा हैं। हालाकि नपा ने एनजीओ को कुछ पेमेंट रोक रखा हैं।
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