जावरा। नगर में ताजियों पर छींटा करने की रस्म जावरा नवाब इफ्तेखार अली के नवासे गुलाम मकदुम बाबा द्वारा अदा की जाती हैं, और यह परम्परा लम्बे अरसे से चली आ रही हैं। बीते करीब 44 सालों से जावरा नवाब के नवासे ही इस रस्म को अदा करते आ रहे हैं।

यह हैं कारण –
उल्लेखनीय है कि हजरत पैगम्बर मोहम्मद के दो नवासे हसन तथा हुसैन थे। पैगम्बर साहब को अपने नवासों से बेहद प्यार था, लेकिन हसन को जहर देकर मार दिया गया था, वहीं हुसैन कर्बला मैदान में शहीद हुए थे। इसके चलते हि मोहर्रम का यह आयोजन भी पैगम्बर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैनकी शहादत की याद में ही किया जाता हैं। जावरा में ताजियों पर छींटे की रस्म अदा करने की इस परम्परा का निर्वहन जावरा नवाब के नवासे ही करते आ रहे । पिछले करीब 44 सालों से वे ही इस रस्म को अदा करते आ रहे हैं।