जावरा। भारतीय संस्कृति में राजनीति सेवा धर्म है जो हम कमजोर लोगों को आगे लाने एवं सामाजिक स्थिति को सुदृढ़ करने की दिशा में सेवा संकल्प का भाव जगाती हैं। हमारे वेद,उपनिषद व अन्य ग्रंथ हमें राजनीति को धर्म से जोडक़र आगे बढ़ाने की दिशा में प्रेरित करते हैं। व्यक्ति दो प्रकार से डरता है या तो कानून से या धर्म से , हमारा भाव वसुधेव कुटुंबकम का रहा है। हम चाणक्य व चंद्रगुप्त को देखें तो उन्होंने राजनीति को अपना धर्म माना है। महाभारत में अर्जुन अपने सगे संबंधियों के खिलाफ शस्त्र उठाने को भी तैयार नहीं थे परन्तु श्री कृष्ण ने उन्हें धर्म का ज्ञान दिया जो आज भगवत गीता के रुप में विश्व मे विख्यात है।उक्त विचार समग्र मालवा द्वारा आयोजित मालवा विचार मंथन के शुभारंभ पर श्रीराम विद्या मन्दिर मे मुख्य अतिथि विधायक राजेंद्र पांडे ने भारतीय राजनीति का दर्शन विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहे। डॉ.पाण्डेय ने कहा कि वेदिक काल से लेकर राम, कृष्ण, बुध्द, महावीर, अशोक ने राज धर्म को कर्म से जोडा ओर मानव कल्याण का दर्शन प्रदान किया। यही भारतीय दर्शन हैं। वर्तमान भारतीय राजनीति में प.दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्मक मानववाद व अंत्योदय मे भी यही दर्शन हैं। जिसका वर्तमान शासन तंत्र मे बोलबाला हैं। पुरातन काल से ही राजनीति में धर्म भाव के साथ काम करने को बल दिया गया हं। जिससे समाज व राष्ट्र मजबूत होता है। यही हमारी संस्कृति व राजनीति का दर्शन है।
गीत संग्रह का विमोचन किया –
इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एडवोकेट विजय ओरा ने लोकतंत्र की परिभाषा को इंगित करते हुए राजनीतिक दर्शन पर अपने बात बात कही। इस अवसर पर समग्र मालवा के संयोजक एवं कवि मनोहर सिंह चौहान मधुकर के गीत संग्रह प्रीत की भोर का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवल के साथ किया। अतिथियों का स्वागत संस्था अध्यक्ष अभय कोठारी कार्यक्रम संयोजक जगदीश उपमन्यु,मनोहर सिंह चौहान,रमेश मनोहरा, महेश शर्मा, शिवराज सिंह तोमर,अभय कांठेड आदि ने किया। संस्था सदस्यो ने डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय का शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया। स्वागत भाषण एवं कार्यक्रम के रूपरेखा संस्था अध्यक्ष अभय कोठारी ने तथा अतिथि परिचय जगदीश उपमन्यु ने दिया। संचालन राजेंद्र श्रोत्रीय ने किया। आभार रमेश मनोहरा ने माना। कार्यक्रम मे नगर के गणमान्य नागरिक, पत्रकार, विचारक एवं साहित्य प्रेमी बडी संख्या में उपस्थित थे।
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