– जुल की चमक से लेकर अभ्रक व कांच की चमक तक
– ग्यास व ब्लब से लेकर ऑनलाईन शापिंग के जरीये डिजीटल लाईटिंग से जगमगा रहे ताजिये
जावरा। नवाब इफतेखार अली के सपनो की रियासत गुलशनाबाद में हजरत इमाम हुसैन की शहादत में बनाए गए करीब डेढ़ सौं साल पुराने ताजियों का सफर आधुनिक युग के जावरा तक आज भी बदस्तुर जारी हैं। जुल की चमक तथा ग्यास की रोशनी से शुरु होकर कांच, अभ्रक की बारिक कारीगरी व डिजीटल लाईटिंग के साथ यह परम्परा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही हैं। उम्रदराज लोगों से लेकर महज पांच साल तक के बच्चें सदियों से चली आ रही इस परम्परा का आज भी जी-जान लगाकर निवर्हन कर रहे हैं। नगर के ताजियों की कारीगरी को देखने के लिए आसपास के कई शहरों व प्रदेशो के लोग यहां पहुंचते हैं तथा इमाम हुसैन की शहादत में अपना शीश नवाते हैं। मुस्लिमों के साथ हिन्दु सम्प्रदाय के लोग भी ताजियों के इस कारवां में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। वैसे तो नगर में छोटे तथा बड़े कुल मिलाकर 250 ताजियों कारवां रात में निकलता हैं, लेकिन सदीयों से चली आ रही हैं।
योमे आशुरा की रात निकला ताजियों का कारवां –
हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम में चांद की दस तारिख को योमे आशुरा की रात में समाजजनों रोजा रखकर इबादत की, वहीं रात भर नगर की सडक़ों पर झिलमील ताजियों का कारंवा गश्त करता हुआ सुबह कर्बला मैदान में पहुंचा। जहां छीटें की रस्मा अदा की गयी। मुस्लीम सम्प्रदाय के लोगों के ने योमे आशुरा का रोजा रख अपने अपने हिसाब से हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने हुए उनकी जियारत की। वहीं बुधवार की रात में नगर के समस्त इमामबाड़ों से रात में सभी ताजिये उठे और पुरानी धानमंडी स्थित सरकारी मध्य भारत के ताजिये को सलामी देने पहुंचे।रात भर करते हैं गश्त –
पुरानी धानमंडी से ताजियों का कारंवा प्रारंभ हुआ। जो कमानी गेट, नीम चौक, पिंजारवाड़ी, आजाद चोक, सोमवारियां, शुक्रवारियां, फुटी बावड़ी, पीपलीबाजार, घंटाघर चौराहा, बजाजखाना, भडभुंजा चौक, पुलबाजार, गुन्ना चौक होता हुआ पेलेस स्थित कर्बला मैदान पहुंचा।
मंडी में लगा मैला –
पुरानी धानमंडी स्थित मध्यभारत के ताजियों के सामने मैदान में मोहर्रम के दौरान दो दिवसीय मेले का आयोजन भी किया गया। जिसमें बच्चो के लिए झुलों के साथ मनिहारी सामान तथा खाने पीने की दुकाने लगाई गई। रात में यहां ताजियों का कारवा धीरे धीरे करके पहुंचता रहता हैं। विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले ताजिये एक एक करके यहां एकत्रित होते हैं। सरकारी ताजिये को सलामी के बाद यहां से ताजियों का कारंवा प्रारंभ होता हैं।
गुरुवार को होगी छींटे की रस्म –
ताजियों का कारवां गुरुवार की सुबह से कर्बला मैदान पहुंचना शुरु होगा। जहां ताजिया कमेटी सदर गुलाम मकदुम बाबा व उनके परिवार द्वारा ताजियों पर गुलाबजल से छींटे की रस्म अदा की जाएगी। छीटें के बाद समस्त ताजिये पुन: अपने अपने इमामबाड़ों की और चले जाएंगे।
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