– सरस्वती शिशु मंदिर सरस्वती पुरम पर प्रारंभ हुआ नवीन आचार्य विकास वर्ग
जावरा। शिक्षा प्रदान करते समय हमें सर्वप्रथम विद्या भारती का लक्ष्य सदैव ध्यान में रखना हैं अध्यापन तो सभी करवाते हैं लेकिन विद्या भारती का लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए भैया बहनो का सर्वांगीण विकास करना है और यह तभी हो पाएगा जब हम विद्या भारती के लक्ष्य को कंठस्थ कर ले हमारा लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए बगैर लक्ष्य के कोई भी कार्य सफल नहीं होता वर्तमान चुनौतियों के समय में विद्या भारती का लक्ष्य बहुत ही महत्वपूर्ण है और हम सदैव इसे स्मरण में रखें योजना को अच्छी तरह से समझे और विद्यालय में उसे लागू करें तभी आप अपना दायित्व सही से निर्वहन कर सकेंगे। यह बात उज्जैन विभाग समन्वयक महेंद्र भगत ने सरस्वती शिशु मंदिर पहाडिय़ा रोड़ पर आयोजित नवीन आचार्य व दीदी के विकास वर्ग के उद्घाटन सत्र के दौरान सम्बोधित करते हुए कहीं। भगत ने लक्ष्य से संबंधित कई उदाहरण बताएं की किस प्रकार शिक्षा ओजस्वी बालकों का निर्माण कर सकती हैं। सरस्वती शिशु मंदिर के संस्थापक व्यवस्थापक सुरेश मेहता भी अतिथि के रुप में मौजुद रहे। स्वागत शिवानी भंडारी एवं पायल सोनी ने किया। अमृत वचन का वाचन जितेंद्र शर्मा ने किया। सुबह के सत्र में योग प्राणायाम एवं विद्यालय परिसर में हवन भी किया गया। आईसीटी के वर्ग में भी प्रशिक्षणर्थियों ने भाग लिया शिक्षण सत्र भी आयोजित किए गए जिसमें वर्ग में भाग ले रहे नव नियुक्त आचार्यों ने पाठ योजना प्रस्तुत की उन्हें यह भी बताया गया कि नई शिक्षा नीति के तहत किस प्रकार से उन्हें बच्चों को शिक्षा देनी हैं। जिससे वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके विकास वर्ग में उज्जैन विभाग के प्राचार्य प्रधानाचार्य बंधु की टोली भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे नवनियुक्त आचार्य का मार्गदर्शन कर रही हैं। आईसीटी प्रभारी महेंद्र चंदेल ने आईसीटी के आचार्यों को मार्गदर्शन प्रदान किया
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