– कश्मिरी गली स्थित सरस्वति शिशु मंदिर पर हुआ एक दिवसीय आचार्य प्रशिक्षण वर्ग
जावरा। शिक्षा आनंदमयी होना चाहिए, बच्चों को एक बार पढ़ाओं और तीन बार सीखाओं ताकि उन्है अभ्यास पक्का हो, शिक्षण पद्धति में हमें आज नीत नए प्रयोग करना आवश्यक हैं। आज वैदिक पद्धति के साथ मार्डन टेक्नॉलॉजी को भी अपने शिक्षण में लाना अनिवार्य हैं ताकि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य भी पूर्ण हो सके। बेहतर शिक्षा देकर देश की सेवा के लिए बेहतर विद्यार्थियों को आगे लाना विद्या भारती का पहला कर्तव्य हैं, मार्डन टेक्नालॉजी के साथ बच्चों को शिक्षा देकर शिशु मंदिर के विद्यार्थियों को कान्वेट स्कूलों के बच्चों से बेहतर बनाकर उन्है समाज में पहली पक्ंती में खड़ा करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। यह बात विद्या भारती के उज्जैन विभाग समन्वयक महेन्द्र भगत ने कश्मिरी गली स्थित सरस्वती शिशु मंदिर पर आयोजित एक दिवसीय आचार्य अभ्यास वर्ग के दौरान सम्बोधित करते हुए कहीं। विद्यालय के प्रचार प्रसार प्रमुख हेमंत जोशी ने बताया कि अभ्यास वर्ग में भगत ने आचार्यो को टेबलेट के माध्यम से कई नए प्रयोग कर शिक्षा को बेहतर बनाने का प्रशिक्षण दिया। अभ्यास वर्ग के विभिन्न सत्रों में विवेक भारतीय शिक्षण समिति अध्यक्ष अजीत चत्तर, सचिव तनमय सोनी, सह सचिव लोकेश शर्मा, प्राचार्य रेणुबाला शर्मा तथा प्रधानाचार्य शिला सोन ने भी सम्बोधित किया। इस दौरान सरस्वती पुरम पहाडिय़ा रोड़ के साथ शिशु मंदिर के करीब 60 से अधिक शिक्षक शिक्षिकाएं मौजुद रही। संचालन तनु दैय्या ने किया। आभार प्रधानाचार्य शिला सोन ने माना।
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