– बुधवार को सुबह गीता भवन पर पत्रकार वार्ता में बोले स्वामी ज्ञानानंद
– पत्रकारों का दुप्पटा ओढ़ाकर किया सम्मान
जावरा। मानव ने जब-जब प्रकृति को क्षीण करने का प्रयास किया। तब-तब विकृति आई और महामारी के रूप में बीमारियां फैली। अगर पर्यावरण के प्रति हम नहीं जागे तो ये आगे भी आती रहेगी। इसलिए हमें यह ध्यान रखना होगा कि वनस्पति कमजोर नहीं हो, बहुमंजिला इमारतें बनाने के लिए पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई रोकी जाए। वृक्ष, पर्वत ओर नदियों की विकृति को रोकने में अहम भूमिका होती है।
उक्त बातें जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानन्दजी तीर्थ ने बुधवार को श्री गीता भवन परिसर में स्थित अपने कक्ष में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। इस मौके पर श्री गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष विधायक डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय विशेष रूप से मौजूद रहे। गौ माता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि गाय की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए जाने चाहिए। स्वामी जी ने लोगों को सलाह दी कि प्रकृति के अनुरूप कार्य करते हुए जीवन यापन करना चाहिए। जीवन में नीति का महत्व प्रतिपादित करते हुए आपने कहा कि धर्म नीति, राज नीति ओर कर्म नीति के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है। देश में बुचड़ खाने को लेकर किए गए एक सवाल के जवाब में स्वामी ज्ञानानन्द जी तीर्थ ने बताया कि उन्होंने भारत में कईं जगहों पर चल रहे कत्लखाने बंद कराने के प्रयास किए। इस दौरान उन्हें काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा।सुरक्षा के बीच हो गया हमला –
हैदराबाद के अलकबीर कत्लखाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वहां तो प्राण ही संकट में आ गए थे। लेकिन प्राणों से प्रीति ना रखते हुए गौमाता के प्रति आस्था व श्रद्धा रख वह अभियान में जुटे रहे और बूचडख़ाने को बंद कराने में सफलता पाई। स्वामी श्री तीर्थ के अनुसार सनातन संस्कृति के दायित्व का निर्वहन करने के दौरान उन पर अनेक बार असामाजिक तत्वों द्वारा हमले भी किए गए। उनका अपहरण तक कर लिया गया। स्वामी ज्ञानानन्द जी तीर्थ की जान को खतरा होने के चलते केंद सरकार और राज्य सरकार द्वारा उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई। बावजूद इसके उन पर प्राणघातक हमला हो गया। जिसमें उनके सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई। वो बताते हैं कि उक्त घटना में जो चोंट उनको पहुंची वह आज भी पीड़ादायी है। मोबाइल के सम्बंध में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में स्वामी जी ने कहा कि मोबाइल एक साधन है, सुविधा है। इसका सदुपयोग होना चाहिए।
जघन्यता को सख्ती से कुचलना जरूरी –
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार को लेकर किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि कहीं यदि जघन्यता हो रही है तो दया की आवश्यकता नह ीं है। उसी भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए ओर ऐसे तत्वों को सख्ती से कुचला जाना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि मीडिया के बारे में आप क्या राय रखते हैं, तो स्वामी जी कहा कि मीडिया में अच्छे लोग भी है। उनकी मानसिकता किसी एक पक्ष की ओर नहीं होनी चाहिए। अर्थ की ओर झुकने वाले पत्रकार की कलम निष्पक्ष नहीं चल सकती। अगर पत्रकार सही है तो प्रकृति उसका साथ देती है।
धर्म को निगल जाता है अर्थ –
पत्रकारों के सवालों के बीच ही स्वामी ज्ञानानन्द जी तीर्थ ने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की व्याख्या बहुत ही सुंदर ढंग से हाथ की उंगलियों से समझाते हुए की। उन्होंने कहा कि अर्थ धर्म को खा जाता है। विषयाशक्ति, वासनाशक्ति ओर कामाशक्ति जीव को खा जाती है। उसे मोक्ष की ओर नहीं बढऩे देती। पत्रकार वार्ता के पश्चात स्वामी जी ने सभी पत्रकारों को धर्म प्रतीक दुपट्टा पहनाकर पेन, डायरी भेंट कर सम्मान किया। इस अवसर पर अशोक सेठिया, राजेन्द्र श्रोत्रिय, मोहन पटेल, राजेन्द्र गर्ग, दशरथ कसानिया आदि उपस्थित रहे।
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