– सेवानिवृत प्राध्यापकों को लंबे अरसे से नहीं मिल रहा अर्जित अवकाश बीलों के नगदीकरण का लाभ
जावरा। मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के अधीन सेवारत होकर सेवानिवृत प्राध्यापकों को एक साल का लंबा अरसा बीत जाने के बाद भी उनके स्वत्व अर्जित अवकाश का नगदीकरण बीलों का भुगतान अब तक नहीं हुआ हैं। उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा बीलों के भुगतान के लिए आयुक्त उच्च शिक्षा को एक माडयूलर बनाने के आदेश दिए थे, लेकिन आयुक्त ने अब तक इस और कोई काम नहीं किया हैं, ऐसे में प्रदेश के समस्त सेवानिवृत प्राध्यापकों के अर्जित अवकाश की इन्ट्री मॉडयूलर में नहीं हो पाई, जिसके चलते प्रदेश के लाखों सेवानिवृत प्राध्यापकों का अर्जित अवकाश का करोड़ो रुपया अटका हुआ हैं। लेकिन इस और आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग ध्यान नहीं देते हुए मौन धारण कर बैठे हैं। प्रांतीय प्राध्यापक संघ के पूर्व सदस्य तथा शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय रतलाम से सहप्राध्यापक पद से सेवानिवृत हुए जावरा निवासी एवं मध्यप्रदेश पेंशनर्स सदस्य डॉ मदनलाल गांगले ने मीडिया को बयान जारी करते हुए बताया कि मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग मंत्रालय के एक आदेश के तहत साल भर पहले सेवानिवृत प्राध्यापकों के लिवइनकेशमेंट बीलों के पूर्ण भुगतान करने पर असमर्थता व्यक्त की गई थी। लेकिन एक साल बाद पुन: लंबे अंतराल के बाद एक और दुसरा आदेश उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया हैं। बारम्बार उक्त आदेश के तहत मध्यप्रदेश के सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यो द्वारा कमेटियां भी बनाई गई हैं। कमेटियों द्वारा सेवानिवृत प्राध्यापकों के अर्जित अवकाश संबंधी कांगजातों की खोजबीन की जा रही हैं। कागजातों की छानबीन में लंबा समय लगने से सेवानिवृत प्राध्यापकों का लिवइनकेशमेंट बीलों का भुगतान लंबा खिचा जा रहा हैं। इससे सेवानिवृत प्राध्यापकों का करोडों का भुगतान अटका हुआ हैं। जबकि भारत सरकार नई दिल्ली के कार्यालयीन ज्ञापन के एक पत्र के अनुसार सेवानिवृत होने वालों को सेवानिवृतिहित लाभों का समय पर भुगतान हो।
पूर्व में नहीं थी कोई भी शर्त –
डॉ गांगले का कहना है कि ऐन केन प्रकारेण सेवानिवृत प्राध्यापकों के लिवइनकेशमेंट बीलों के भुगतान केा बारम्बार आदेश जारी करके लंबा खिंचकर भुगतान करने में जानबुझकर लेट लतिफी की जा रही हैं, जबकि करीब डेढ साल पहले लिव इनकेशमेंंट बिलों के भुगतान को लेकर ना तो कोई शर्ते थी और ना ही कोई नियम कानून ही आड़े आता था। सरलता से बीलों का भुगतान किया जाता था। डॉ गांगले ने उक्त बीलों के भुगतान के लिए दिनांक 03 सितंबर 24 को स्पीड पोस्ट के माध्यम से आवेदन पत्र प्रेषित किया हैं। जिसमें लिखा है कि आदेश क्रमांक 3027/4574/2021/38 दिनांक 01 मार्च 2023 के तहत इनकेशमेंट बीलों के पूर्ण भुगतान में असमर्थता व्यक्त की गई हैं। सेवा पुस्तिका में इन्ट्री के आधार पर ही हो भुगतान –
डॉ गांगले ने बताया कि शासकीय सेवक के सेवा काल का मुख्य अभिलेख उसकी पर्सनल फाईल और सेवा पुस्तिका होती हैं, पर्सनल फाईल के आधार पर ही सेवा पुस्तिका में इन्ट्रिज इन्द्राज की जाती हैं। अत: सेवा पुस्तिका में दर्ज अर्जित अवकाश के लेखा जोखा के आधार पर अर्जित अवकाश नगदीकरण बीलों का भुगतान करना ही न्याय संगत हैं। आपने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग मंत्रालय भोपाल से तत्काल सेवानिवृत हुए प्राध्यापकों के लिवइनकेशमेंट बीलो के भुगतान की मांग करते बताया कि पुराने सेवानिवृत हुए प्राध्यापकों को बगैर माडयूल बनाए अर्जित अवकाश नगदीकरण का लाभ प्रदान किए जाए, साथ ही आगामी समय में सेवानिवृत होने वाले प्राध्यापकों के लिए मॉडयूल तैयार किया जाकर उसमें उनकी इंट्री दर्ज की जाए।
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