– दो मे से एक बिल की मिली थी स्वीकृति लेकिन उसकी भी राशि अब तक नहीं मिली, दुसरे की स्वीकृति अब भी अधर में लटकी
– प्राध्यापक द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों के विरूद्ध मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की
जावरा। भाजपा सरकार में अधिकारियों द्वारा शासकीय कामो में लेट लतिफी का अलाम यह हैं कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के गृहनगर उज्जैन स्थित क्षैत्रीय संचालक स्वास्थ सेवाओं उज्जैन अधिकारियों द्वारा सेवानिवृत सह प्राध्यापक डॉ मदनलाल गांगले के चिकित्सा देयकों की कार्योत्तर स्वीकृत को बीते 9 माह से लटका रखा हैं, प्राध्यापक द्वारा स्वास्थ मंत्री और मुख्यमंत्री तक कई शिकायते की, समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित हुए तब कहीं जाकर क्षैत्रीय संचालक ने महज एक बिल जिसकी राशि 35640 रुपए की कार्योत्तर स्वीकृति दी, लेकिन तब तक यह राशि शासकीय कन्या महाविद्यालय रतलाम के खाते से लेप्स हो गई, ऐसे में सहायक प्राध्यापक को यह राशि नहीं मिली हैं। जबकि दूसरा बिल जिसकी राशि 23090 रुपए हैं, वह बिल बीते 9 माह से कार्योत्तर स्वीकृति के अभाव में क्षैत्रीय संचालक स्वास्थ सेवाएं उज्जैन के कार्यालय में लंबित पड़ा हैं। उक्त बिल की स्वीकृति के लिए केवल आश्वासन ही मिला हैं, स्वीकृति अब तक नहीं मिली हैं। जिसके चलते प्राध्यापक को अपनी ही राशि के लिए दर दर भटकना पड़ रहा हैं। प्राध्यापक द्वारा स्वास्थ सेवाएं उज्जैन के अधिकारियों और कर्मचारियों के विरूद्ध मुख्यमंत्री कार्यालय से अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए कार्योत्तर स्वीकृति आदेश शीघ्र प्रदान करने की मांग की हैं।