– सीएम हेल्पलाईन, मुख्यमंत्री और स्वास्थ मंत्री तक शिकायत के बाद एक बिल की मिली स्वीकृति, एक अब भी लटका
जावरा। भाजपा सरकार में अधिकारियों द्वारा शासकीय कामो में लेट लतिफी की जा रही हैं, जिसके चलते लोगों को शासकीय कार्यालयों के चक्कर काटना पड़ रहे हैं, पीडि़त जब तक उच्च स्तर तक शिकायत ना करें तब तक कोई काम नहीं होता हैं, ऐसा ही मामला सामने आया हैं, जिसमें रतलाम के कन्या महाविद्यालय से सेवानिव़ृत हुए प्राध्यापक डॉ मदनलाल गांगले का हैं, उनके चिकित्सा देयकों की कार्योत्तर स्वीकृति नहीं मिलने पर प्राध्यापक द्वारा क्षैत्रीय संचालक स्वास्थ सेवाओं की शिकायत मुख्यमंत्री और स्वास्थ मंत्री के साथ सीएम हेल्पलाईन तक की, जिसके बाद क्षैत्रीय संचालक की नींद खुली और उन्होने प्राध्यापक के एक चिकित्सा देयक पर आठ माह बाद कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान की, लेकिन क्षैत्रीय संचालक की लेटलतिफी के चलते महाविद्यालय के बजट से उक्त बिल की राशि लेप्स हो गई। अब इस बिल की राशि के लिए महाविद्यालय ने पुन: आयुक्त उच्च शिक्षा से बजट की मांग की हैं।
एक बिल की अब तक पेडिंग पड़ी कार्योत्तर स्वीकृति –
सेवानिवृत प्राध्यापक डॉ गांगले ने बताया कि एक बिल की स्वीकृति तो प्रदान हो गई हैं, लेकिन एक बिल और जिसकी राशि 23090 रुपए के बिल की कार्योत्तर स्वीकृति अब तक नहीं दी गई हैं, जबकि दोनो बिल एक साथ क्षैत्रीय संचालक कार्यालय में एक साथ कार्योत्तर स्वीकृति हेतु जमा किए थे। प्राध्यापक की यह समस्या समाचार पत्रों में भी प्रमुखता से प्रकाशित हो रही हैं, उसके बाद भी क्षैत्रिय संचालक कार्यालय उज्जैन के अधिकारियों व कर्मचारियों ने मौन धारण करके प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल रखा हैं। शेष बचे बिल की कार्योत्तर स्वीकृति हेतु डॉ गांगले ने एक और पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा हैं।
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