जावरा। बगैर किसी वैघ डिग्री के एलोपेथिक दवाईयों से गांवों में लोगों का रंगे हाथों ईलाज करते पाए जाने तथा लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले फर्जी डाक्टर को न्यायाधीश रोहित शर्मा, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी जावरा ने एक साल का सश्रम कारावास तथा एक हजार रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।
जिला अभियोजन अधिकारी जी.पी.घाटिया ने बताया कि 12 अप्रेल 2017 को बीएमओ जावरा द्वारा डॉ. दिनेश पाटीदार को झोलाछाप फर्जी डाक्टरों की जांच के लिए गठित किए गए दल के साथ जाने के आदेश दिए थे। जिसके बाद डॉ पाटीदार तहसीलदार के.पी. हलवाई, रितुराज सिंह आई.ए.एस., तहसीलदार जावरा के साथ हाटपिपल्या पहुंचे। जहां कैलाशचन्द्र रावल, निवासी- हाटपिपल्या अपने क्लीनिक पर एलोपेथिक दवाईयों से लोगों का ईलाज करते पाए गए। उनके पास कोई वैध डिग्री नहीं होने से मौके पर दल ने उनके क्लीनिक का पंचनामा बनाकर व दवाईयां क्लीनिक से जप्त कर दवाईयों की सूची बनाई व क्लीनिक सील किया। फिर उनके द्वारा फर्जी डॉक्टर के विरूद्ध कार्यवाही करने हेतु पुलिस चौकी हाटपिपल्या पर आवेदन दिया था।
आयुर्वेदिक अधिनियम के तहत दर्ज किया प्रकरण –
आवेदन पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी कैलाश रावल के विरूद्ध अपराध धारा 24 म.प्र. आयुर्वेदिक अधिनियम का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना में आरोपी के विरुद्ध अपराध धारा 24 म.प्र. आयुर्वेदिक परिषद अधिनियम का अपराध सिद्ध पाये जाने पर संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी भुपेन्द्र कुमार सांगते द्वारा शासन की ओर से पैरवी कर साक्ष्य लेखबद्ध कराई गई। न्यायालय में आए साक्ष्य के आधार पर न्यायाधीश रोहित कुमार शर्मा ने आरोपी कैलाशचंद पिता मोहनलाल रावल (70) निवासी हाटपिपलिया, जावरा जिला रतलाम के विरूद्ध आरोप सिद्ध पाये जाने से धारा 24 म.प्र. आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 में एक वर्ष सश्रम कारावास व 1000 रुपयें अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।