जावरा। जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म सा एक ऐसे संत के जिन्होंने अपने संपूर्ण जीवन काल में जन-जन को धर्म के मार्ग पर चलने की राह बताई, आपके प्रवचन झोपड़ी से लेकर महलों तक हुए, आपने हमेशा मैत्री भाव अपनाया और सभी संतो को आदर करते हुए गुरु एक और सेवा अनेक का नारा दिया इतने बड़े संत होने के बाद भी आपने कभी पद लिप्सा नहीं रखी और आपके सफल प्रयासों से श्रमण संघ की स्थापना हुई आज हम सब उस श्रमण संघ का एक हिस्सा है l
उक्त विचार आगमज्ञाता विकसित मुनीजी म.सा. ने व्यक्त किये। नवकार आराधक वितराग मुनीजी म.सा. ने कहाँ कि गुरुदेव जैन दिवाकर कि स्मृति को चिर स्थाई करने के लिए गुरु दिवाकर कस्तूर पुस्तकालय बनाने के लिए प्रेरित किया जिसमे धर्म सभा में ही अनेक श्रावक श्राविकाओं ने दान राशि की घोषणा की। धर्म सभा का संचालन करते हुए सहसचिव आकाश जैन ने बताया गुरुदेव जैन दिवाकर के जावरा में तीन चार्तुमास हुए, अपने दादा गुरुदेव की सेवा में भी आप जावरा में रहे, आपका जावरा से विशेष लगाव रहा जिससे आज जावरा का संघ जैन दिवाकर के नाम से जाना जाता है।
धर्म आराधना स्थानक भवन में होती हैं अन्यत्र नहीं –
अ भा जैन दिवाकर संगठन के राष्ट्रीय मंत्री संदीप रांका ने कहा कि गुरुदेव जैन दिवाकर जी का चार्तुमास सवत् 1978 का चार्तुमास अवंतिका नगरी उज्जैन में था। जहा पर चातुर्मास एक निजी निवास पर था गुरुदेव ने फरमाया की धर्म आराधना स्थानक भवन पर होती हैं वह अन्यत्र जगह नहीं होती इस पर उसी धर्मसभा में वैभव कुल सपन्न कुलीन परिवार राजपूत महिला सुंदरबाई ने अचानक प्रवचन मै खड़े होकर स्थानक भवन के लिए एक मकान की घोषणा की साथ ही उसके रख रखाव के लिए 2500 की नगद राशि देकर समाज को मजबूत किये गुरुदेव के प्रवचन से सुंदरबाई ने जैन धर्म अंगीकार कर जिन शासन की सेवा मै लीन हो गई। जैन दिवाकर जी की वाणी मे यह सहज सरल गुण था जो एक बार उनका प्रवचन सुन लेता वह बार बार सुनने को लालायित रहता वह सदा के लिए गुरु भक्त बन जाता था गुरुदेव के दर्शन वंदन करने जो भी जाता था उसे गुरुदेव दया पालो कहतें थे। जिससे भक्त गदगद हो जाता था ऐसा था ऐसे कहीं उदाहरण आज भी देखने सुनने को मिलते हैं । सुबह निकला चल समारोह –
जानकारी देते हुए सह सचिव आकाश जैन ने बताया की गुरुदेव जैन दिवाकर श्री चौथमल जी म सा की 147 वीं जन्म जयंती पर चल समारोह नगर के प्रमुख मार्गों से होता पुन: जैन दिवाकर भवन पर पहुचंकर धर्मसभा मैं परिवर्तित हुआ धर्मसभा में पूज्यनीय गुरुदेव मुनिंद जैन दिवाकर करो आनंद के जाप एवं दिवाकर चालीसा करने के पश्चात, प्रकाश श्रीश्रीमाल, राकेश श्रीश्री माल, जैन दिवाकर महिला मंडल, जैन दिवाकर बहु मंडल ने अपने अपने स्तवन प्रस्तुत किये। धर्मसभा के पश्चात श्री संघ के सदस्यों एवं आमन्त्रित साथियों का स्वामीवात्सल्य सागर साधना भवन पर रखा गया था जिसके नखरे के लाभार्थी स्व. मदनलाल नाहर, स्व. संगीता देवी नाहर कि स्मृति में इंद्रा देवी, पुत्र शेखर, विदित नाहर परिवार द्वारा लिया गया।
चल समारोह में इनकी रही उपस्थिति –
चल समारोह में श्रीसंघ अध्यक्ष इंदरमल टुकडियां, चार्तुमास समिति अध्यक्ष पुखराज कोचट्टा, न.पा. उपाध्यक्ष सुशील कोचट्टा, जैन दिवाकर संगठन समिति के राष्ट्रीय मंत्री संदीप रांका, बंसतीलाल चपडोद, पारसमल बरडिया, राकेश जैन (उजाला), मनोहरलाल चपडोद, सुरेन्द्र मेहता, शांतिलाल डांगी, अशोक रांका, शेखर नाहर, अशोक मेहता, राकेश कोचट्टा जतिन कोचट्टा, पराग कोचट्टा, प्रकाश श्रीश्री माल, विजय नाहर, अतुल मेहता आदि उपस्थित थे। जाप एवं प्रवचन की प्रभावना का लाभ सुजानमल निलेश कुमार ओरा परिवार ने लिया।
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