– ढूंढ-ढूंढकर जरूरतमन्दों को बांट रहा ऊनी वस्त्र, बीते पांच सालों से निरंतर जारी हैं यह सेवा
जावरा। कड़कड़ाती ठंड में ठिठुरते गरीबों, असहायों व मजबूर लोगों की चिंता कोई करे या ना करें। लेकिन नगर की एक ऐसी संस्था है जो नि:स्वार्थ भाव से ऐसे लोगों की सेवा में जुटी हुई है। उस संस्था का नाम है-जैन सोश्यल ग्रुप नवकार जावरा। पिछले करीबन पांच सालों से जैन सोश्यल ग्रुप नवकार के सदस्य जनसहयोग के साथ ही स्वयं के खर्च से कम्बल, मफलर, टोपे, हाथ के मौजे व अन्य गरम कपड़े खरीदकर जरूरतमन्दों को बांटने का जिम्मा उठाए हुए हैं। जैन सोश्यल ग्रुप नवकार की इस अभिनव पहल को करुणा योजना नाम दिया गया है। कोई भी इच्छुक व्यक्ति जरूरतमंद लोगों के सेवार्थ कार्य करने वाली इस संस्था को सहयोग कर सकता है। इसमें कम से कम एक सौ रुपए की राशि दानस्वरुप देना अनिवार्य है। इससे अधिक देना चाहे तो वह राशि असीमित है। मजेदार बात यह है कि सहयोगात्मक मिलने वाली राशि को नखरा नाम दिया गया है, यानी सहयोग का नखरा।

..ओर चमक उठते चेहरे –
संस्था ठंड के मौसम में हर वर्ष इसी प्रकार अनवरत बेसहारा, गरीब, निर्धन व असहाय लोगों को सर्दी से बचाव के लिए कम्बल, टोपे, मफलर, हाथ के मौजे के अलावा ऊनी वस्त्र वितरित करती आ रही है। ग्रुप के सदस्य शहर में घूम-घूमकर ऐसे लोगों की तलाश करते हैं, जिनके पास सर्दी से बचने के वस्त्र नहीं है या ऐसे लोग ठंड में जैसे-तैसे अलाव के सहारे रात बिताने को मजबूर है अथवा कहीं सिकुड़कर दुबके बैठे हुए हैं। उनको संस्था द्वारा ऊनी कपड़े दिए जाते हैं। कड़कड़ाती सर्दी के माहौल में उक्त सामग्री पाकर जरूरतमंद लोगों के चेहरे खिल उठते हैं। उनकी खुशी देखते ही बनती है।
ये हैं टीम के सक्रिय सदस्य –
ग्रुप के संजय आंचलिया, सुभाष टुकडिया, वीरेंद्र खेमसरा, हर्षित पगारिया, आयुष चौरडिया, मनोज मेहता, अभिषेक बोरदिया, दिनेश भंडारी, अशीष कोठारी, पीयूष चपडोद, सुमित दसेडा, नरेन्द्र कांठेड, सम्भव आंचलिया, गजेंद्र सियार, धर्मेश खारीवाल आदि सदस्य चौपाटी, बस स्टैंड, स्टेशन रोड़, अस्पताल परिसर, खाचरोद नाका, झुग्गी झोपड़ी के साथ ही अन्य स्थानों पर पहुँचकर अपने मिशन को आगे बढ़ाते देखे जा सकते हैं।