जावरा। मुस्लिम सम्प्रदाय द्वारा शनिवार को 22 रजब को रजब-उल-मुरज्जब इमाम जाफर सा. की नियाज (कुंडे की फातेहा) का पर्व मनाया गया। दिन भर घरों में खीर के साथ विभिन्न पकवान बनाने के बाद शाम को फातीहा अदा की गई। इसको लेकर बीते दो दिनों में तैयारियों को दौर शुरु हो गया था। आसीफ चाचा घड़ीवाले ने बताया कि पर्व के तहत शाम 6 बजे कुंडे की फातेहा शुरु हुई। पहले साफ सुथरे दस्तर खान पर घरों में बनाई गई मिठाईयों को सजाया गया। मिठाई के साथ दस्तर खान पर गुलाब व मोगरे के फुल बिछाए गए। इत्र और लोभान लगाया गया। इसके बाद इमाम जाफर सां. के शवाबे के लिए दुआं मांगी गई।
फातेहा के बाद पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने एक दुसरे के घर पहुंचकर मिठाई खाते है और पर्व मनाते है। माना जाता है कि इस दौरान मन्नत और मुरादे मांगी जाती है। मन्नत पुरी होने पर अगले वर्ष मन्नत का कुंडा भरना अनिवार्य होता है। इस दौरान विशेष रूप से मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाता है। आसीफ भाई ने बताया कि अपने जमाने के खगोल विज्ञानी, इस्लामीक विद्ववान, धर्मशास्त्री, लेखक, दार्शनिक, चिकित्सक व भोतीक के वैज्ञानिक जाफर मदीना 65 वर्ष की उम्र में शहीद हुए थे। इन्हे काफी धार्मिक ज्ञान था। ज्ञान के प्रभाव के चलते ही 12 वर्ष की उम्र में जाफर अपने दादा के साथ इमाम के सज्जाद व 13 वर्ष की उम्र में इमाम बन गए थे।