जावरा। जैन धर्म अपने आप में जबरदस्त धर्म है किंतु यह धर्म किसी से जबरदस्ती करना नहीं सिखाता है। परमात्मा महावीर स्वामी ने हमे अहिंसा, अपरिग्रह एवं अनेकांतवाद का मार्ग बताया है।
अवन्तितीर्थ उद्धारक युगदिवाकर खरतरागच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री मणिप्रभ सूरीश्वर जी की आज्ञाकिंत छत्तीसगढ़ रत्न शिरोमणि महत्तरा पदविभूषिता प.पू.मनोहर श्रीजी म.सा. की सुशिष्या जप साधना साधिका, मालव ज्योति प.पू.अमिपूर्णा श्रीजी ने जैन मंदिर पीपली बाजार स्थित खरतरगच्छ उपाश्रय पर आयोजित भगवान नेमीनाथ के जन्मकल्याणक महोत्सव में यह बात कही। आपने कहा कि किसी को शारीरिक चोट पहुंचाना ही हिंसा नही है अपितु किसी का दिल दुखाना,किसी बुरा सोचना, किसी को अपशब्द बोलना भी हिंसा का ही एक रूप है। इस अवसर पर पूजा की थाली सजाने की प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।अंत में भगवान नेमिनाथ की आरती की गई। इस मौके पर आजादसिंह ढड्ढा, सुशील जैन, रमेशचंद जैन, ललित जैन, मुकेश चंडालिया, कैलाश छाजेड़, आशीष धारीवाल, मनीष मेहता, विमल मेहता आदि सहित बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे।
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