– पीपली बाजार स्थित श्री खरतरगच्छ उपाश्रय पर चातुर्मास के दौरान धर्मसभा में दिए प्रवचन
जावरा। भगवान श्री कृष्ण ने मानव को प्रेम एवं शांति से रहने का संदेश दिया। वे कभी भी नहीं चाहते थे कि कौरवों औऱ पांडवो के बीच युद्ध हो। उन्होंने महाभारत का युद्ध टालने का हर सम्भव प्रयास किया किन्तु यदि किसी का विनाश होना तय हो वह महापुरुषों की बात नहीं मानता है।पर्युषण महापर्व के चार दिन पहले श्री कृष्ण जन्माष्टमी हमे यही संदेश देने के लिए आती है कि हम पर्व की आराधना करने से पहले बाँसुरी की तरह अपने मन को काम, क्रोध, मोह, लोभ जैसे विकारों से पूरी तरह से खाली करले।यहाँ चातुर्मास हेतु विराजित अवन्तितीर्थ उद्धारक युगदिवाकर खरतरागच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री मणिप्रभ सूरीश्वर जी की आज्ञाकिंत छत्तीसगढ़ रत्न शिरोमणि महत्तरा पदविभूषिता प.पू.मनोहर श्री जी म.सा.की सुशिष्या जप साधना साधिका,मालव ज्योति प.पू.अमिपूर्णा श्री जी म.सा. ने यह बात यहाँ पीपली बाजार जैन मंदिर स्थित खरतरगच्छ उपाश्रय पर आयोजित धर्मसभा में कही।
आपने कहा कि श्री कृष्ण महाराजा बांसुरी को हमेशा अपने साथ रखते थे। बांसुरी की चार विशेषताएं होती।पहली बाँसुरी अंदर से बिल्कुल खाली होती है, दूसरी उसमें गाँठ नही होती है, तीसरी बिना बोलाए नही बोलती है और चौथी जब भी बोलती है मीठा और मधुर बोलती है। किसी के प्रति हृदय में कोई गाँठ नही रखे।पर्व के दौरान मितभाषी बने और जब भी बोले मधुर व मीठा बोले। तभी हमारा पर्युषण पर्व मनाना सार्थक होगा। इस मौके पर आजादसिंह ढड्ढा, रमेश जैन, प्रदीप लोढ़ा, ललित जैन, विजय बोरदिया, मदनलाल मेहता, आशीष धारीवाल, मनीष मेहता, अखिलेश ढड्ढा आदि सहित बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे।
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