– राजस्व विभाग का डाटा उड़ा, न तो रिकवर हुआ और न ही ऑनलाईन पोर्टल पर दोबारा चढ़ाया
– टैक्स जामा हैं, मौखिक रुप से बोल रहे उपभोक्ता तो नहीं मान रहे कर्मचारी, रसीद मंगवा रहे
– सम्पत्तियों के रजिस्टर से नही कर रहे मिलान और ना ही चढ़ा रहे ऑनलाईन डाटा
जावरा। प्रदेश सरकार ने आम जनता को राहत देने और शीघ्र तथा समय पर एक क्लिक में काम हो, ऐसी व्यवस्था करते हुए सभी नगरीय निकायों को ऑन लाईन कर दिया हैं, अब नगरीय निकायों के हर काम ऑन लाईन ही होते हैं, चाहे वह कोई टेंडर हो या, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, फिर चाहे नल का बिल हो या सम्पत्ति कर, यहां तक की भवन निर्माण अनुमति और टेक्स के लिए भी ऑनलाईन प्रक्रिया ही अपनाई जा रही हैं। लेकिन जावरा की नगर पालिका में अजब का काम चल रहा हैं, यहां का राजस्व विभाग में शहर की दर्ज सभी सम्पत्तियों का डाटा करप्त हो गया हैं। जिसे लम्बे समय से रिकवर नहीं किया जा सका, साथ ही विभाग के कर्मचारी उनके पास मौजुद सम्पत्ति कर के रजिस्टरों से डाटा ऑनलाईन नहीं चढ़ा पाए हैं, जिसके चलते अब जो भी उपभोक्ता नपा में टैक्स जमा करने जा रहा हैं, उन्है अधिक राशि बताई जा रही हैं। जिन उपभोक्ताओं के पास वर्तमान की टैक्स रसीद हैं तो उसे मान रहे हैं, लेकिन जिन उपभोक्ताओं के पास रसीद नहीं हैं, उनकी बात कर्मचारी नहीं सुन रहे हैं और उन्है अधिक राशि बताकर परेशान कर रहे हैं। ऐसे ही कुछ मामले सामने आए हैं, जिनमें उपभोक्ताओं ने अपना सम्पत्ति कर भर दिया हैं, नपा ने उन्है हस्त लिखित रसीद भी प्रदान कर दी हैं, लेकिन जिन उपभोक्ताओं से रसीद कहीं गुम हो गई हैं, उन्है अब दोबारा से टैक्स भरना पड़ेगा। क्योंकि नपा के राजस्व विभाग के कर्मचारी उनके पास मौजुद सम्पत्ति कर रजिस्टर से उपभोक्ताओं के कहे अनुसार मिलान नहीं कर रहे हैं ओर ना ही अब तक रजिस्टर से कम्प्यूटर में ऑन लाईन इंट्री ही कर पाए हैं। ऐसे में टैक्स भरने नगर पालिका पहुंच रहे लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही हैं।
रसीद दिखाई तब कहीं जाकर माने कर्मचारी –
नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 01 में निवास करने वाले मोहनलाल पिता नानुराम दायम ने बताया कि वे नपा रिकार्ड में दर्ज उनके मकान का टैक्स भरने नपा में गए थे, तब उन्है कर्मचारियों द्वारा अधिक राशि बताई गई, जबकि उनके द्वारा मार्च 2024 तक का टैक्स जमा किया जा चुका था, लेकिन उनके पास रसीद नहीं थी, ऐसे में कोई भी कर्मचारी डाटा देखकर उन्है संतुष्टी पूर्वक उत्तर नहीं दे पाया और उन्है अधिक राशि जमा करने के लिए कहा गया। जिस पर मोहनलाल पुन: अपने घर गए और रसीद ढूंढकर लाए, तब कहीं जाकर नपा राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने बात को माना और टैक्स जमा किया। ऐसे और भी बहुत सारे उपभोक्ता नगर पालिका के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन राजस्व विभाग के कर्मचारी रिकार्ड को ऑनलाईन नहीं कर रहे हैं।
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