– 25 लाख में बनना था आश्रय स्थल, लेटलतीफी के चलते बढ़ गई मटेरियल की दरे
– शासन ने अतिरिक्त 12 लाख रुपए और स्वीकृत किए उसके बाद भी अब तक अधुरा पड़ा काम
जावरा। दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डे-एनयूएलएम) के घटक शहरी बेघरों के लिये आश्रय अन्तर्गत प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में व्यवसाय एवं श्रम कार्यो हेतु ग्रामीण क्षेत्रों से गरीब परिवारों का आगमन होता है, जिनका शहर में कोई आवास नहीं होता है। ऐसे शहरी बेघर एवं गरीब असहाय जो अपने रोजी रोटी आजीविका के लिए या बीमारी आदि के इलाज के लिए नगर में आते है उनके नि:शुल्क ठहरने की व्यवस्था के लिये नगरीय क्षेत्र में आश्रय स्थलों का संचालन किया जा रहा हैं। लेकिन जावरा में एसडीएम और सीएमओ आवास के समीप निर्माणाधीन आश्रय स्थल भवन बीते पांच सालों में भी बनकर तैयार नहीं हुआ हैं। शासन स्तर से इसके निर्माण में लगने वाली 25 लाख रुपए की राशि भी प्रदान कर दी गई, समय पर काम पुरा नहीं होने से मटेरिलय की दर में बढ़ोतरी हो गई और यह भवन पांच साल से अधुरा पड़ा हैं। अब इसे जिम्मेदारों की लापरवाही कहें या ठेकेदार की उदासीनता, उक्त अधुरे पड़े आश्रय स्थल को पुरा करने शासन स्तर से करीब 6 सूचना पत्र भी दिए जा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी मामला ठंडे बस्ते में ही पड़ा हैं। हालाकि दर वृद्धि होने के बाद भी शासन ने काम को पुरा करने के लिए अतिरिक्त 12 लाख रुपए की राशि स्वीकृत कर दी, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार इंजिनियर की लापरवाही के चलते काम अधुरा ही पड़ा हैं।
2021 में जारी किया था कार्यादेश –
जावरा नगरीय क्षैत्र में भी आश्रय स्थल स्वीकृत करते हुए इसके लिए 2020 में आश्रय स्थल के लिए प्रक्रिया प्रारंभ की गई। योजना प्रारंभ हुई तो प्राथमिक स्तर पर सीएमओ बंगले के समीप खाली पड़े बाल मंदिर में अस्थायी आश्रय स्थल तैयार कर दिया गया। वहीं 2021 में नवीन आश्रय स्थल का चयन करते हुए बाल मंदिर परिसर में ही नवीन आश्रय स्थल बनाने की स्वीकृति शासन स्तर से मिली। 25 लाख रुपए की राशि भी प्रदान कर दी –
जावरा शहर के लिए मध्यप्रदेश शासन ने आश्रय स्थल के लिए 25 लाख रुपए की राशि स्वीकृत करते हुए राशि नपा को प्रदान भी कर दी, लेकिन 2024 समाप्त होने के बाद भी अब तक यह आश्रय स्थल भवन अधुरा ही पड़ा हैं, बीते करीब ड़ेढ साल से इसका काम ही बंद पड़ा हैं। ऐसे में लोगों को अब भी अस्थायी आश्रय स्थल में ही गुजर बसर करना पड़ रहा हैं।
शासन ने स्वीकृत की 12 लाख की अतिरिक्त राशि –
2021 में कार्यादेश मिलने के बाद शीघ्र ठेकेदार को यह आश्रय स्थल भवन पूर्ण कर नपा को सौंपना था, लेकिन ठेकेदार और विभाग के इंजिनियर की लापरवाही के चलते शासन द्वारा मिली 25 लाख की राशि पुरी समाप्त होने के बाद भी भवन अब तक अधुरा पड़ा हैं, भवन की केवल दीवारे खड़ी होकर उस छत ही डल सकी हैं, शेष काम अधुरा पड़ा हैं, लंबी अवधी बीतने के बाद भी काम पुरा नहीं हुआ तो बिल्डिंग मटेरियल के भाव बढ़े तो ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। लेकिन फिर भी शासन स्तर से भवन को पूर्ण करने के लिए 12 लाख रुपए की अतिरिक्त राशि की स्वीकृति मिली, लेकिन उसके बाद भी अब तक यह भवन अधुरा ही पड़ा हैं।
शासन से मिले नोटिस को भी कर रहे दरकिनार –
मध्यप्रदेश शासन की महती योजना आश्रय स्थल को पुरा करने को लेकर शासन स्तर से भी करीब 6 सूचना पत्र नपा और ठेकेदार को जारी किए गए , लेकिन शासन के इन सूचना पत्रों को भी दरकिनार करते हुए अब तक इस आश्रय स्थल का काम शुरु नहीं हो पाया हैं। अब इस अधुरे पड़े आश्रय स्थल को समय सीमा में पूर्ण नहीं करने का जिम्मेदार जनता विभाग के इंजिनियर को ठहराए या निर्माण करने वाले ठेकेदार को ?
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