एसडीएम अध्यक्ष और तहसीलदार सचिव फिर भी नहीं सुधरी व्यवस्थाऐं
– दो सालों में कई बार सीसीटीवी के लिए कहां लेकिन नहीं लगाए
– मंदिर की नीचे वाली छत भी जो रही जर्जर, उसकी भी नहीं हुई मरम्मत
– पूर्व एसडीएम ने जनता के साथ श्रमदान कर किया था भराव
जावरा। शहर का सबसे पुराना धार्मिक स्थल श्री जागनाथ महादेव मंदिर सरकारी मंदिर हैं, इस मंदिर की समस्त व्यवस्थाओं के लिए शासन स्तर से एसडीएम को मंदिर ट्रस्ट का पदेन अध्यक्ष और तहसीलदार को पदेन सचिव मनोनीत कर रखा हैं, वहीं ट्रस्ट में बरसो से चंद लोग टिके हुए हैं। शहर का प्रमुख शिवालय होने के चलते मंदिर में चढ़ावा भी अच्छा खासा आता हैं, जो कि प्रशासन के पास ही जाता हैंं। लेकिन इसके बाद भी मंदिर की व्यवस्थाए लचर हो रही हैं। बरसों से टीके ट्रस्टी मंदिर जिर्णोद्धा को लेकर ना तो स्वयं कुछ काम करते हैं और ना ही किसी को करने देते हैं। इतना ही नहीं मंदिर समिति के अध्यक्ष ओर सचिव भी इस मंदिर के रखरखाव व सुरक्षा को लेकर चिंतित नहीं हैं। इस मंदिर परिसर की छत नीचे पोली हो रही हैं, लेकिन इसकी मरम्मत को लेकर ट्रस्टियों द्वारा कोई रूची नहीं ली गई, जावरा के पूर्व अध्यक्ष तथा एसडीएम हिमांशु प्रजापति ने जनता से अपील कर श्रमदान करवा कर इसकी छत के नीचे स्थित बावड़ी में भराव करवाया था। शुक्रवार को हुई घटना के बाद अब शहर में मंदिर समिति में ट्रस्टियों पर अविश्वास बढ़ रहा हैं और अब ट्रस्टियों को बदलने के स्वर उठने लगे हैं। दो सालों में कई आवेदन दिए लेकिन नहीं लगाए कैमरे –
मंदिर संचालन के लिए बनाए ट्रस्ट के ट्रस्टियों के साथ अध्यक्ष व सचिव द्वारा व्यवस्थाओंं में लापरवाही बरती जा रही हैं, मंदिर में नि:शुल्क सेवा और समय देने वाले युवाओं ने बीते सालों में कई बार मंदिर जिर्णोद्धार के साथ सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए ट्रस्टियों को आवेदन दिए, लेकिन वे आवेदन रद्दी की टोकरी में चले गए। जिसके चलते ना तो मंदिर में कुछ व्यवस्थाऐं हुई और ना ही अब तक सीसीटीवी कैमरे ही लगे। जिसके चलते शुक्रवार को सुबह मंदिर प्रांगण में गाय के बछड़े का कटा सिर फैकने वालों करतुत कैद नहीं हो पाई। जिसमें बाद यह बात उजागर हुई कि मंदिर में सुरक्षा को लेकर कैमरे तक नहीं लगे हैं।
बीएम ग्रुप करता हैं कई धार्मिक आयोजन –
उल्लेखनीय है कि मंदिर में आने वाली दान राशि भी शासकीय मद में जमा की जाती हैं, लेकिन व्यवस्थाओं के नाम पर उक्त राशि खर्च नहीं होती हैं। ऐसे में सावन माह में पूरे महिने बीएम ग्रुप व भोले के भक्त नि:स्वार्थ भाव से सेवा देते है और सम्पूर्ण खर्च उठाते हैं, वहीं शिवरात्रि पर भी होने वाला धार्मिक अनुष्ठान बीएम ग्रुप द्वारा ही किया जाता हैं। शाही सवारी में केवल एक झांकी प्रशासकीय मद से निकाली जाती हैं, शेष सम्पूर्ण खर्च ग्रुप द्वारा किया जाता हैं। सावन में माह में होने वाले धार्मिक आयोजन पर नजर रखने बीएम ग्रुप ने जनसहयोग से यहां कैमरे लगवाए थे, लेकिन थोड़े समय पर बाद रखरखाव के अभाव में कैमरे खराब हो गए। जिसके बाद नए कैमरे लगाने के लिए ट्रस्टियों को आवेदन दिया था। लेकिन उस आवेदन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
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