– श्मशान की भूमि से अतिक्रमण हटाने एसडीएम आफीस पर महिलाओं व ग्रामीणों ने दिया धरना
– एसडीएम ने दो दिन में अतिक्रमण हटाने का दिया समय
– ग्रामीण बोले यदि नहीं हटा तो तीसरा दिन उनका, फिर से देंगे धरना
जावरा। ग्राम पचंायत हनुमंतिया के अन्तर्गत आने वाले गांव पिपलौदी में श्मशान घाट की भूमि पर तीन लोगों द्वारा अतिक्रमण किए जाने और विरोध करने पर विवाद करने की शिकायत लेकर सोमवार को दोपहर में पिपलौदी गांव की महिलाएं और ग्रामीण बड़ी संख्या में अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय पहुंचे और धरना दे दिया। ग्रामीणों ने जब तक अतिक्रमण नहीं हटाया जाता हैं, तब तक धरना पर बैठे रहने की बात कहीं। एसडीएम नायब तहसीलदार वैभव जैन को भेजा लेकिन ग्रामीण एसडीएम त्रिलोचन गौड़ से ही बात करने की मांग पर अड़ गए। कुछ देर बाद एसडीएम पहुंचे तो ग्रामीणों ने जिला पंचायत सदस्य डीपी धाकड़ की उपस्थिति में भूमि से अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर एक पत्र एसडीएम को सौंपा। एसडीएम ने ग्रामीणों को दो दिन अतिक्रमण हटाने का आश्वासन दिया। तब कहीं जाकर ग्रामीण धरने से उठे, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि दो दिन एसडीएम के तीसरा दिन हमारा, अतिक्रमण नहीं हटा तो वे और अधिक संख्या में पहुंचकर पुन: धरना देंगे और कलेक्टर कार्यालय जाकर वहां भी शिकायत दर्ज करेंगे।

ग्रामीणों द्वारा एसडीएम गौड़ को दिए पत्र में बताया कि ग्राम पंचायत हनुमंतिया के ग्राम पिपलोदी नई आबादी मे प्रस्तावित शमशान घाट भुमि जिसका भुमि सर्वे कमांक 10& शासकीय भुमि जिस पर हल्का पटवारी द्वारा सभी ग्राम वासियों की उपस्थिति में अतिक्रमण कर्ताओ की सहमति से शांतिपुर्वक तरीके से अतिक्रमण मुक्त करवाई जाकर उक्त भृमि के आसपास खाई खोदकर 05 दिसंबर 24 को सीमांकन कर दिया गया था। लेकिन उसके बाद भी गांव के ही अतिक्रमणकर्ता मन्नालाल पिता नंदा, कमलेश पिता नंदा व कैलाश पिता नंदा ने उक्त खाई को बुरकर पुन: अतिक्रमण कर लिया।
समझाईश दी तो गाली गलोच कर किया विवाद –
सरपंच प्रतिनिधि सुनिल चौहान ने बताया कि ग्राम पंचायत द्वारा 21 फरवरी 25 को अतिक्रमणकर्ताओं को समझाई देकर अतिक्रमण हटाने के लिए बात की तो अतिक्रमणकर्ताओं द्वारा गाली गलोच करते हुए विवाद शुरु कर दिया। विवाद के दौरान अतिक्रमणकर्ताओं ने उनके घर की महिलाओं को आगे कर दिया। ऐसे में पंचायत का दल पुन: लोट आया। पत्र में अतिक्रमणकर्ताओं पर सख्त कार्रवाई करने के साथ ही अतिक्रमण हटाने की मांग ग्रामीणों द्वारा की गई।
