– मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन
– मांगों पर शीघ्र कार्रवाई करने की बात कही
जावरा। मध्यप्रदेश की बेटियों के विरूद्ध संगठित षडयंत्र लव जिहाद पर सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर शुक्रवार को सर्व हिन्दु मैदान में उतारा, प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नाम एक ज्ञापन अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय पर तहसीलदार संदीप इवने और शहर थाना प्रभारी जितेन्द्रपालसिंह जादौन को सौंपा। ज्ञापन में लव जिहाद को रोकने सर्व हिन्दु समाज ने अपनी मांगे सरकार के समक्ष रखी हैं। सौपे गए ज्ञापन में बताया कि हाल ही में मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों—भोपाल, उज्जैन, इंदौर, रीवा, सागर, दमोह, मोरेना और राजगढ़ में हुए ‘लव जिहादÓ के अनेक मामलों ने प्रदेशवासियों को झकझोर कर रख दिया है। इन मामलों में मासूम बालिकाओं, युवतियों एवं महिलाओं को छलपूर्वक, धर्म छिपाकर प्रेमजाल में फंसाकर न केवल उनके साथ शारीरिक शोषण किया गया, अपितु उनकी अस्मिता एवं आत्मसम्मान को भी गहरी ठेस पहुंचाई गई हैं। सकल हिन्दू समाज का मानना है कि यह महज़ व्यक्तिगत अपराध नहीं, अपितु राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा प्रायोजित एक संगठित षड्यंत्र है, जिसकी जड़ें अंतरराज्यीय व अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क तक फैली हो सकती हैं। इस विषय में राष्ट्रीय महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग द्वारा गठित जांच समितियाँ इस षड्यंत्र की गंभीरता और संवेदनशीलता की पुष्टि करती हैं। ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री से सभी मांगों पर गंभीरता से विचारकर उन पर कार्रवाई किए जाने की मांग की हैं। ज्ञापन का वाचन रीना शुभम दसेड़ा ने किया। इस दौरान नेपालसिंह डोडिया (खजुरिया), महेन्द्र अग्रवाल, दीपक साधु, प्रशांत पहाडिय़ा, मनीष मोर्य, शेखर नाहर, मधुसुदन पाटीदार, अभिषेक अग्रवाल, राजेश धाकड़ (आरडी), आचार्य विजय दग्दी, सूरज महावर, जीवन सैनी, आशीष सैनी, शेरसिंह, राहुल चावरे, किशोर विजवा के साथ प्रिया सिसौदिया, पुनम शाह, पुनम धाकड़, वंदना चौधरी आदि सहित बड़ी संख्या में सर्व हिन्दु समाज के लोग उपस्थित रहे।
ज्ञापन में रखी ये मांगे –
– लव जिहाद के अंतरराज्यीय और राष्ट्रविरोधी मामलों की जांच एनआईए से कराई जाए।
– लव जिहाद के मामलो में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहयोगियों को भी अपराधी माना जाए और उन्है भी अभियुक्त बनाया जाए।
– पीडि़त परिवारों द्वारा भय के कारण एफआईआर दर्ज न कराने की स्थिति में शासन स्वयं मामला दर्ज कराए।
– जहाँ अपराध सुनियोजित और एक से अधिक पीडि़ताओं के साथ हुआ है, वहाँ संगठित अपराध की धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया जाए।
– शासकीय योजनाओं मे दस्तावेजों का दुरुपयोग रोकने हेतु उन्हें डिजिटल माध्यम से प्रस्तुत करने की अनिवार्यता हो।
– नाबालिग व अनाथ पीडि़ताओं की सुरक्षा एवं पुनर्वास हेतु विशेष आर्थिक सहायता की व्यवस्था की जाए।
– एमपी धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 का प्रभावी क्रियान्वयन एवं उपयुक्त धाराओं को प्रभावी रूप से लागू किया जाए।
– सरकारी व निजी संस्थानों के कर्मचारियों और छात्रों का पुलिस वेरिफिकेशन सुनिश्चित किया जाए।
– अपराधियों को फांसी की सज़ा दिए जाने की घोषणा को लागू किया जाए।
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