– करोड़ों खर्च कर सीएम राईज का भवन तो बना दिया, लेकिन प्रवेश को लेकर नहीं बनाई कोई नीति,
– नवीन सत्र में हेण्ड ओव्हर की तैयारी, सरकारी स्कूल के बच्चों को ही मिलेगा प्रवेश
– मध्यम वर्गीय होनहार छात्र प्रवेश से रहेंगे वंचित
जावरा। प्रदेश सरकार ने शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए प्रदेश भर में कई हायर सेकेण्डरीस्कूलों को उन्नत करते हुए सीएम राईज विद्यालय का कान्सेप्ट लाते हुए सरकारी स्कूलों की आधारभूत संरचना और इन्फ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने तथा बच्चों को विद्यालय में सर्वसुविधा मिले इसको लेकर करोड़ों रुपए खर्च करते हुए सीएम राईज स्कूलों में बड़े बड़े भवन, खैल मैदान आदि तो तैयार कर दिए, लेकिन इन स्कूलों में मध्यम वर्गीय परिवारों के होनहार विद्यार्थियों को प्रवेश कैसे मिलेगा, इसको लेकर कोई नीति नहीं बनाई हैं। ऐसे में कई विद्यार्थी प्रवेश से वंचित ही रहेंगे। जावरा में करीब 1700 सीट –
शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने तो सीएम राईज स्कूल जावरा का भवन बनकर तैयार हो गया हैं, संभवत: अप्रेल माह में इसे हेण्डओव्हर भी कर दिया जाएगा, हेण्ड ओव्हर होने के साथ ही 5 किलोमीटर की परीधी में आने वाले सभी प्राथमिक से लेकर हायर सेकेण्डरी तक के सरकारी स्कूलों को जावरा के सीएम राईज स्कूल में मर्ज किया जाएगा। जिससे चलते इस स्कूल में करीब 1700 बच्चों के प्रवेश के लिए सीट उपलब्ध हैं, लेकिन सरकार की नीति के चलते पहले इन सीटों पर मर्ज स्कूलों के बच्चों को ही प्रवेश दिया जाएगा। वहीं मर्ज होने वाले स्कूलों के शिक्षक भी इसी स्कूल में अध्यापन कार्य करवाएंगे। ऐसे में जब सरकारी स्कूल के बच्चों को ही इसमे प्रवेश देना हैं, उन्ही स्कूल के अध्यापकों से ही शिक्षण कार्य करवाना हैं तो फिर जनता के करोड़ो रुपए स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने का क्या मतलब रहा।नीति स्कूलों की मोटी फीस न भर पाने वाले पालकों को कैसे मिलेगी राहत –
उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा सीएम राईज स्कूल का कान्सेप्ट प्रदेश में इसलिए लागू किया था, ताकि प्रदेश के ऐसे मध्यम वर्गीय परिवार जो निजी कान्वेंट स्कूलों की महंगी व मोटी फिस नहीं भर सकते हैं, ऐसे परिवार के होनहार विद्यार्थियों को इन स्कूलों में प्रवेश मिलेगा और उन्है बेहतर शिक्षा मिलेगी, लेकिन सरकार ने अब तक इन स्कूलों में प्रवेश को लेकर कोई नई नीति नहीं बनाई हैं, ऐसे में मध्यम वर्गीय परिवार के होनहारों को प्रवेश कैसे मिलेगा .. ? पालकों को केसे राहत मिलेगी, इसको लेकर सरकार ने कोई नीति नहीं बनाई हैं, वहीं जब सभी सीटे केवल सरकारी स्कूल के बच्चों से ही भरना हैं तो फिर करोड़ो क्यों खर्च किए …. ?
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