– हर साल का बड़ा आयोजन लेकिन फिर भी नहीं हो रहे स्थायी इंतजाम
– हुसैनी मिशन, हुसैन टैकरी की इंतेजामिया कमेटी के साथ ही स्थानीय प्रशासन व पुलिस के लिए व्यवस्थाएं जुटाने में होगी परेशानी
जावरा। विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हुसैन टैकरी शरीफ पर हुसैन मिशन द्वारा हज़रत इमाम हुसैन की याद में दस दिनी चेहल्लुम का आयोजन इस साल 15 से 25 अगस्त 24 तक होगा। 15 अगस्त को परचम कुशाई के साथ चैहल्लुम का आगाज होगा और 24 अगस्त को मादम ए खंदक तथा 25 अगस्त को अलविदा मजलीस के साथ आयोजन का समापन होगा। चेहल्लुम को लेकर सारी व्यवस्थाऐं हुसैन टैकरी शरीफ की इंतेजामिया कमेटी द्वारा किया जाता हैं, सुरक्षा व कानून व्यवस्था का जिम्मा स्थानीय तथा जिला प्रशासन पर रहता हैं। चैहल्लुम में देश के साथ विदेशों में भी लाखों की संख्या में जायरीन पहुंचते हैं।
हुसैन मिशन के अजफल मुकादम तथा मुन्नवर मुकादम ने बताया कि हुसैन टैकरी शरीफ पर हुसैनी मिशन द्वारा 15 अगस्त से 25 अगस्त तक चेहल्लुम का आयोजन होगा। चेहल्लुम का मुख्य आयोजन मातम ए खंदक 24 अगस्त की रात में होगा। हुसैनी मिशन तथा इदारा हुसैन टैकरी शरीफ द्वारा आयोजित चैहल्लुम को लेकर प्रोग्राम तय कर दिया गया हैं। जिसमें तहत 15 अगस्त की शाम करीब 5 बजे हुसैनी मिशन द्वारा बड़े रोजे पर परचम कुशाई के साथ प्रारंभ होगा।
दस दिन होंगे ये आयोजन –
परचम कुशाई के साथ ही रोजाना सुबह 10.30 बजे बडे रोजे पर, सुबह 11 बजे टॉप शरीफ पर तथा 12 .30 बजे इमाम बाड़े पर जनाना मजलीस होगी। रोज शाम 5 बजे छोटे रोजे पर तथा रात 9 बजे बड़े रोजे पर मजलीस होगी। 20 अगस्त के बाद मुख्य आयोजन शुरु होंगे। जिसमें हुसैनी मिशन के साथ ही अन्य मिशनो द्वारा अलग अलग दिन जुलूस आदि निकाले जाएगें। जिसमें हजरत इमाम जाफर सादिक की कुंडे की नियाज, चाबुक शरीफ पर मजलिस, इमामबाडे पर नियाज, जुलूस ए हजरत अबुल फजलिल के अलम मुबारक की सवारी और अम्मारी निकाली जाएगी। चुप ताजिये का जुलूस निकाला जाएगा। बनी असमद के काफिले का मंजर के साथ ही मुख्य आयोजन मातम ए खंदक होगा। इसी दिन दोपहर में खुनी मातम के साथ विभिन्न जुलूस भी निकाले जाएंगे। हुसैन मिशन के साथ ही शिया सम्प्रदाय के अन्य मिशनों द्वारा भी विभिन्न जुलूस निकाले जाएंगे। जिसमें खुनी मातम भी होगा। इतने सालों में भी नहीं हुए स्थाई इंतजाम –
हुसैन टैकरी परिसर करीब 230 बीघा में फैला है, प्रतिवर्ष यहा चैहल्लुम के दौरान मैला लगाता है, लेकिन हुसैन टैकरी प्रशासन हर साल यहां आयोजन पर अस्थाई पड़ाव, अस्थायी शौचालय, अस्थायी बेरिकेट्स लगाता है, जो कि सभी किराए पर मंगवाए जाते है, जबकि हुसैन टैकरी पर होने वाली आय से यदि चैहल्लुम को लेकर स्थायी इंतजात किए जाए तो हर साल किराए के रुप में लगने वाला बचेगा साथ ही हुसैन टैकरी पर गंदगी और समस्याओं से भी मुक्ति मिलेगी।
कमरों का किराया भी बढ़ जाता है कई गुना –
चैहल्लुम के दौरान हिन्दू-मुस्लिम दोनो ही धर्म के लोग होते है। अपनी अकीदत से यह आते है मन्नत मांगते है। जिनको भूत-प्रेत लगे होते है उनके फैसले का वक्त भी यही होता है। इस आयोजन में दस दिनों में करीब 2 से 3 लाख श्रद्धालु आते है, कुछ दूर दराज से भी होते है, जिनको ठहराने के लिए प्राइवेट या फिर हुसैन टेकरी प्रशासन के रूम किराए पर लेने होते है। अगर रूम लेने जितने पैसे नही है तो खुले में ही रात गुजरा करना होता है। धर्मशाला या मुसाफिर खाने जैसी कोई व्यवस्था यहा नही है। सादे दिनों में रूम का किराया 200 या 300 रुपया प्रतिदिन होता है। लेकिन चैहल्लुम के दस दिनों में यह किराया काफी गुना बढ़ जाता है, सूत्रों के अनुसार एक रुम का 10 दिन का किराया 10 से 15 हजार रुपए तक वसूल किया जाता है। वहीं हुसैन टैकरी भी मैले के दिनों में अपने कमरों का किराया बढ़ा देती है।
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