– सीएसपी बोले आज दस्तावेज का अवलोकन करने के बाद कल पुन: कथन के लिए बुलाया
जावरा। अरनीयापीथा मंडी के समीप शहर के भुपेन्द्र डांगी और मुकेश चंडालिया परिवार द्वारा साझेदारी में मेसर्स शुद्ध रिद्धी एग्रीफुड्स प्रा. लि. के पार्टनरों के बीच हुए विवाद के बाद अब मामला पुलिस तक पहुंच गया है। मामले में भुपेन्द्र डांगी ने छोखाधड़ी करने कुट रचित दस्तावेज के आधार पर फैक्ट्री को बम्बई के व्यापारी को बेचने के बाद भी बैंक से लिए लोन को नहीं चुकाने से डांगी प्रापर्टी निलामी होने की कगार पर पहुंचने के बाद डांगी ने सीएसपी दुर्गेश आर्मो को चण्डालिया परिवार के सदस्यों पर नामजद एफआईआर करने आवेदन दिया था। वहीं पत्रकारवार्ता करते हुए मामले का खुलासा किया था। जिस पर सीएसपी आर्मो ने चण्डालिया परिवार के सभी सदस्यों को नोटिस जारी करते हुए कथन के लिए बुलाया था।
नगर पुलिस अधीक्षक दुर्गेश आर्मो के नोटिस के बाद सोमवार को दोपहर में मुकेश चण्डालिया, राजेश चण्डालिया, अशोक चण्डालिया, महेन्द्र चण्डालिया कथन के बाद सीएसपी कार्यालय पहुंचे और सीएसपी को करीब 100 पेज करीब के दस्तावेज सौंपे। जिस पर सीएसपी आर्मो ने बताया कि चण्डालिया परिवार द्वारा सौपे गए दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद मंगलवार को पुन: कथन के लिए बुलाया है। कथन के बाद मामले में जांच की जाएगी जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
डांगी ने प्रेस कान्फ्रेस कर किया था मामले का खुलासा –
आपसी रिश्तेदारी के बाद साझेदारी में डाली गई आटा फैक्ट्री को लेकर दोनो पक्षों के बीच लम्बे समय से विवाद चल रहा था, हालाकि यह बात दबी हई थी, लेकिन गत 27 जनवरी को जब भूपेन्द्र डांगी ने पत्रकारवार्ता कर मामले का खुलासा किया तो सारा विवाद उजागर हो गया। डांगी नेबताया कि उक्त संयत्र के लिए भारतीय स्टेट बैंक शाखा रतलाम से उद्योग के लिये करीब 26 करोड़ रुपए का लोन लिया। जिसके लिए करीब 80 प्रतिशत प्रापर्टी भुपेन्द्र डांगी ने तथा 20 प्रतिशत प्रापर्टी मुकेश चंडालिया ने बंैंक में बंधक रखी। वहीं संयत्र को चलान के लिए मध्यप्रदेश शासन से 11 करोड़ तथा मंडी बोर्ड से 7 करोड़ की सब्सीडी भी मिलना थी वहीं करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए का कोविड लोन भी लिया गया था। 12 जून 2019 को फैक्ट्री चालु की गई, करीब 6 माह ट्रायल करने के बाद विधिवत रुप से फैक्ट्री को चालु करते हुए प्रतिदिन 100 से 125 टन माल का प्रतिदिन उत्पादन किया जाने लगा। कंपनी के डायरेक्टर भूपेन्द्र डांगी ने बताया कि कुछ समय बाद उन्है बंैंक से फैक्ट्री के सही ढंग से नहीं चलने की सूचना मिली। चूंकि चंडालिया और उनके बीच आपसी रिश्तेदारी थी, तो उन्होने इस और ज्यादा ध्यान नहीं दिया तो उन्होने इस और देखा तो उन्है मामला गड़बड़ दिखा और कई आर्थिक अनियमितताएं मिली, दस्तावेज देखे तो उन्है पता चला कि फैक्ट्री के लिए करीब 80 प्रतिशत लागत लगाई लेकिन उन्है केवल 23 प्रतिशत का भागीदार बताया गया। जबकि दोनो के बीच 50-50 प्रतिशत की भागीदारी तय हुई थी। इधर 2021 में जब बैंक की और उन्है फैक्ट्री के सही से नहीं चलने संबंधी सूचना प्राप्त हुई, जिसके बाद डांगी ने 07 जुलाई 2021 को कंपनी के डायरेक्टर पद से त्यागपत्र दे दिया और अपना शेयर मांगा। साथ ही कंपनी में हो रही हेरा फैरी और धोखाधड़ी की सूचना भारतीय स्टेट बैंक की रतलाम शाखा, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीस ग्वालियर को दे दी थी। इसके बाद 29 सितंबर 23 को बैंक की और से उन्है 19 करोड़ 69 लाख रुपए की राशि बकाया बताते हुए उनकी सम्पत्ती को निलाम करने की सूचना दी गई।
डांगी ने एफआईआर दर्ज करने की दिया था सीएसपी को आवेदन –
पार्टनरशिप में करोड़ों रुपए की लेन देन के मामले में हेरा फैरी ओर धोखाधड़ी करने तथा कुट रचित दस्तावेज बनाकर उक्त फैक्ट्री को मुंबई की एक पार्टी को बेचने तथा लोन की राशि नहीं चुकाने के मामले में फर्म के पूर्व पार्टनर भूपेन्द्र डांगी ने मुकेश चण्डालिया, नितिन चण्डालिया, मलका चण्डालिया, राजेश चण्डालिया, अशोक चण्डालिया, महेन्द्र चण्डालिया, ममता राजेश जैन, कुमुद ब्रजमोहन आर्य मुंबई और शाखा प्रबंधक एंव मुख्य प्रबंधक स्टेट बैंक ऑफ इण्डीया एस एम ई शाखा रतलाम तथा बगैर उनकी उपस्थिति के नोटरी करने वाले नोटरी पर एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर नगर पुलिस अधीक्षक दुर्गेश आर्मो को एक आवेदन पत्र दिया था। जिस पर सोमवार को सीएसपी ने चण्डालिया बंधुओं को बुलाया था।